कई जगह एक ही स्कूल से पांच-पांच अध्यापक बीएलओ बनाए
नई शिक्षा नीति के तहत इस बार अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं निर्धारित समय से पहले 20 नवंबर से शुरू हो रही हैं। लेकिन स्टाफ की कमी से जूझ रहे सरकारी विद्यालयों में अब मतदाता सूचियों के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम ने स्थिति और बिगाड़ दी है। प्रदेशभर के स्कूलों में आधे से ज्यादा शिक्षकों को बीएलओ, बीएलओ सहायक व सुपरवाइज़र की ड्यूटी में लगा दिया गया है। इससे स्कूल की व्यवस्था से लेकर परीक्षा की तैयारियां तक प्रभावित हो रही हैं।
टॉप करने की होड़ में शिक्षकों पर दबाव
निर्वाचन विभाग की ओर से विधानसभा क्षेत्रों में सत्यापन प्रतिशत जारी करने के बाद जिला व उपखंड स्तर पर ‘टॉप’ करने की होड़ मची हुई है। इसी कारण कई उपखंड अधिकारियों ने एक ही विद्यालय से चार–पांच शिक्षकों को बीएलओ बना दिया है। शिक्षकों का कहना है कि चुनाव ड्यूटी का पूरा बोझ शिक्षा विभाग पर डाल दिया गया है, जबकि अन्य विभागों के कर्मचारियों को इस प्रक्रिया से जोड़ा जा सकता था।
पाठ्यक्रम अधूरा, परीक्षाएं आज से-प्रधानाध्यापकों के सामने चुनौती
अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं 20 नवंबर से शुरू होगी। कई विद्यालयों में अभी तक पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पाया है। जहां पाठ्यक्रम पूरा हो गया, वहां रिवीजन व तैयारी का कार्य चल रहा था, लेकिन बीएलओ ड्यूटी के चलते यह कार्य अधूरा रह गया है।
शिक्षकों की पीड़ा
प्रदेश के कई क्षेत्रों में बीएलओ शिक्षकों पर लक्ष्य पूरा करने का अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है। इसी दबाव में एक बीएलओ शिक्षक की ओेर से आत्महत्या करने की घटना ने शिक्षकों में गहरा आक्रोश पैदा किया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह स्थिति आरटीई अधिनियम की खुलेआम अवहेलना है, इसके अनुसार शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जाना चाहिए।
शिक्षा सचिव का हस्तक्षेप
विद्यार्थियों और अभिभावकों की शिकायतें बढ़ने के बाद शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने सभी जिला कलक्टरों को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। किसी भी स्कूल से एक-तिहाई से अधिक शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी नहीं लगाई जाए। संस्था प्रधानों को इस काम में बिल्कुल नहीं लगाया जाए। जहां लगाए गए हैं, उन्हें तुरंत कार्यमुक्त कर परीक्षा व प्रशासनिक दायित्वों में वापिस लगाया जाए।
मुख्यमंत्री से मिलेगा शिक्षक दल
राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के प्रदेश अध्यक्ष नीरज शर्मा ने सरकार से बीएलओ कार्य से अध्यापकों को तुरंत मुक्त करने की मांग की है। शर्मा का कहना है कि कई स्कूलों की पढ़ाई चौपट हो गई है। स्टाफ की कमी के बावजूद पांच-पांच अध्यापक बीएलओ बनाए गए हैं। इससे विद्यार्थियों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।