MP News: तपती धूप में सड़क पर बेसुध बैठी एक वृद्ध महिला को देख एक शख्स का दिल ऐसा पिघला कि वह उसकी मदद करने आ गया, महाराष्ट्र में खुशी और सुकून के साथ रह रहे बेटे से फोन पर बात की तो मां तड़प कर रो उठी और बेटे से बोली मुझे ले जाएगा क्या यहां से, ये सुनकर बेटा चुप हो गया, जब मदद करने वाले शख्स ने फोन लिया तो उसने दो टूक जवाब दिया... इन्हें आश्रम में ही रहने दो... 13 साल से बेटे के आने का इंतजार सड़कों पर भीख मांग कर गुजारा करने वाली इस मां के हालात रोंगटे खड़े कर देंगे औऱ कई सवाल कि क्या हमारी ही परवरिश में कमी हो रही है या फिर कुछ और...अगर हां तो क्या...पत्रिका के इस अभियान से जुड़ें और आप ही बताएं...बच्चों पर बोझ बन रहे बूढ़े मां-बाप का मर्म कैसे हो दूर...
MP News: वृद्ध मां बच्चे पर बोझ बन गई। 84 वर्षीय अनुसुइया थाटे की कहानी यही साबित करती है। जिस बेटे को पाल पोसकर बड़ा किया, जब मां को पालने का वक्त आया तो वह 2012 में अपनी मां को राजधानी भोपाल के गांधी नगर चौराहे पर छोड़कर महाराष्ट्र चला गया। बच्चों को हर दिन हर घड़ी खैरियत और बरकत के साथ खुशियों की दुआ देने वाली मां तब से सड़कों पर भीख मांग कर गुजारा कर रही है। फरवरी 2025 में जब बीमार अनुसुइया बेसुध चौराहे पर बैठी तो सामाजिक कार्यकर्ता मोहन सोनी, सार्थक सोनी, भगतराम प्रजापति की नजर में आई। उन्होंने हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया, यहां ठीक होने पर 9 अप्रेल को आसरा वृद्धाश्रम भेजा। अब उन्हें भीख नहीं मांगनी होगी।
नातिन राजधानी के ही निर्मला गांधी नगर में रहती है। फोन नंबर खोजकर उससे बात हुई। उसने आर्थिक परेशानी बता नानी को साथ रखने से साफ इंकार कर दिया। फोन पर बेटे विजय थाटे से बात कराई। मां अनुसुइया बोली, मुझे ले जाएगा क्या यहां से? बेटे ने कोई जवाब नहीं दिया। जब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फोन लिया तो बेटा बोला, इन्हें आश्रम में ही रहने दो।
पति की मौत के बाद अनसुइया गांधीनगर में रहती थी। 1975 में बेटा विजय थाटे छोड़कर महाराष्ट्र के बुलढाणा चला गया। वृद्धा 2012 तक बेटी सिरदारता इंगले के पास रही। बेटी की मौत के बाद नातिन ने विजय के पास भिजवा दिया, पर कुछ दिन बाद मां को भोपाल में सड़क पर छोड़ दिया। तभी से ये भीख मांगकर गुजारा करती है।