भोपाल

बड़ी खबर: भ्रष्टाचार के केस में फंसे एमपी के पूर्व मुख्य सचिव, लोकायुक्त ने शुरु की जांच

Iqbal Singh Bains - एमपी के पूर्व मुख्य सचिव भ्रष्टाचार के केस में फंस गए लगते हैं। उनके खिलाफ लोकायुक्त ने जांच शुरु कर दी है।

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Jun 21, 2025
Former Chief Secretary of MP Iqbal Singh Bains- image- social media

Iqbal Singh Bains - एमपी के पूर्व मुख्य सचिव भ्रष्टाचार के केस में फंस गए लगते हैं। उनके खिलाफ लोकायुक्त ने जांच शुरु कर दी है। प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और आजीविका मिशन के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ ये जांच शुरू की गई है। प्रदेश के पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत पर भोपाल लोकायुक्त ने ये कार्रवाई की है। सकलेचा ने पूर्व मुख्य सचिव बैंस और बेलवाल पर सन 2018-19 से सन 2021-22 के दौरान पोषण आहार तथा अन्य योजनाओं में 500 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। ऑडिटर जनरल ने मार्च 2025 में विधानसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इकबाल सिंह बैंस ने सन 2017 में अपने चहेते बेलवाल को वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लाकर आजीविका मिशन का सीईओ बना दिया था।

ललित मोहन बेलवाल सन 2018 में सेवानिवृत्त हो गए थे। तब भी इकबाल सिंह बैंस ने जून 2020 में उन्हें संविदा आधार पर पुनः आजीविका मिशन का मुख्य कार्यकारी अधिकारी बना दिया। एक वर्ष के लिए की गई इस नियुक्ति के फौरन बाद बेलवाल ने पोषण आहार बनाने का काम एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन से लेकर आजीविका मिशन को दे दिया।

शिकायतकर्ता कांग्रेस विधायक पारस सकलेचा का आरोप है कि इकबाल सिंह बैंस और उनके चहेते बेलवाल ने षड्यंत्रपूर्वक पोषण आहार बनाने वाली सातों फैक्ट्री का कार्य आजीविका मिशन को दिया। दिसंबर 2018 में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार बनने पर घोटाले को देखते हुए यह काम पुनः एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन को दे दिया गया था।

हालांकि 23 मार्च 2020 को पुनः बीजेपी की सरकार बन गई। तब शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने दूसरे ही दिन इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव बना दिया था।

ऑडिट रिपोर्ट में हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा

सन 2018 से सन 2021 तक पोषण आहार में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया। वितरण, परिवहन और गुणवत्ता में बड़ी
गड़बड़ी की गई। ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट से भी इसकी पुष्टि हुई। ऑडिटर जनरल ने सन 2018-19 से लेकर सन 2021-22 तक 481.79 करोड़ का घोटाला पाया। 4 साल की अवधि में महज 8 जिलों की जांच में यह गड़बड़ी पाई गई थी। मार्च 2025 में विधानसभा के पटल पर यह प्रतिवेदन रखा गया।

Published on:
21 Jun 2025 08:43 pm
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