भोपाल

AIIMS में करोड़ों की हेराफेरी, 300 की दवा 2100 में खरीदी, जांच शुरू

scam in AIIMS Bhopal: सस्ती जीवन रक्षक दवाइयां को चार गुना अधिक कीमत में खरीदने और एक हेल्थ कैंप के आयोजन कराने को लेकर एम्स भोपाल पर करोड़ों की कमीशनखोरी के आरोप लगे है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुरू की जांच। (MP News)

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Jun 21, 2025
MP News Crores of rupees scam in AIIMS Bhopal (फोटो सोर्स- AIIMS Bhopal X.com)

MP News: एम्स भोपाल में सस्ती जीवन रक्षक दवाइयां को चार गुना अधिक कीमत में खरीदने और एक हेल्थ कैंप के आयोजन पर 3-3 करोड़ रुपए खर्च करने पर से पर्दा हट गया है। संस्थान के सीसीयू निर्माण, मेडिकल उपकरण की खरीद सहित लगभग हर मामले में भारी कमीशनखोरी लेने के आरोप भी सामने आए हैं। प्रबंधन ने ग्वालियर में एक हेल्थ कैंप के आयोजन में तीन करोड़ रुपए खर्च कर दिए। (scam in AIIMS Bhopal)

भाजपा सांसद है AIIMS की वित्तीय समिति के सदस्य

यह राशि किसी हेल्थ कैंप के आयोजन पर खर्च से लगभग चार गुना अधिक है। इसके लिए 250 से अधिक कर्मियों और 25 बसों उपयोग की गई थी, लेकिन खर्च के हिसाब में पारदर्शिता नहीं बरतने का आरोप है। कमेटी भोपाल से भाजपा सांसद आलोक शर्मा और संस्थान के कुछ डॉक्टरों की 10 शिकायतों के आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम जांच कर रही हैं। बता दें कि, भोपाल सीट से सांसद अलोक शर्मा (भाजपा) AIIMS की वित्तीय समिति के सदस्य भी हैं। (scam in AIIMS Bhopal)


पांच गुना दाम में खरीदी दवाएं

जांच कमेटी एचएलएल लाईफ केयर से महंगे उपकरण और अमृत फार्मेसी से सस्ती पांच गुना से अधिक कीमत में सस्ती दवाओं खरीदने की भी जांच कर रही है। दवाएं खरीदने के नियमों का उल्लंघन कर प्रबंधन ने पिछले चार वर्ष से बिना टेंडर के ही अमृत फार्मेसी से कैंसर की दवाएं खरीद रहा है। अन्य एस कैंसर की दवा जेमसिटेबिन 300 से 400 रुपए में खरीदते हैं। यही दवा एस भोपाल 2100 रुपए में खरीदता है। पहले इमरजेंसी में अमृत फार्मेसी से 10-15 लाख दवाएं खरीदी जाती थीं। अब यह 25 करोड़ से 60 करोड़ गई है।

सांसद का आरोप, एम्स ने किया खारिज

सांसद आलोक शर्मा ने एम्स प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि 'AIIMS प्रबंधन की दवा कंपनियों से सांठगांठ है। संस्थान में लाखों-करोड़ों की कमीशन खोरी की खबर मिलने पर मैंने एस वित्तीय समिति की बैठक में इस मुद्दे को उठाया था। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।' वहीँ, एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक डॉ. अजय सिंह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सब निराधार आरोप है। अपने व्यक्तिगत लाभ और लोगों को भ्रमित करने के लिए संस्था के कुछ लोग ऐसी शिकायतें की हैं। जांच में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।

इनकी भी हो रही है जांच

  • सीसीयू के निर्माण मामले में जूनियर इंजीनियर को सस्पेंड क्यों किया गया।
  • ऑर्थोपेडिक रोबोटिक मशीन खरीद घोटाले में ड़ॉ. रेहान उल हक की भूमिका
  • रिसर्च फंड की गतत उपयोग व एचओडी डॉ. रेहानउल हक की भूमिका वरिष्ठ खरीद भंडार अधिकारी को बार-बार क्यों बदला गया।
  • सेमीनार और अनुसंधान शोकेस पर करोड़ों रुपए खर्च।
Updated on:
21 Jun 2025 10:02 am
Published on:
21 Jun 2025 09:58 am
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