भोपाल.भोपाल संभाग के पीडब्ल्यूडी इंजीनियर्स की ट्रेनिंग वर्कशॉप में चार तकनीक से सडक़ों को बेहतर रखने के बारे में जानकारी दी गई। मंत्री राकेश सिंह ने खुद इस वर्कशॉप को वर्चुअल तरीके से संबोधित किया। प्रशिक्षण वर्कशॉप में मुख्य अभियंता के दल ने ट्रेनिंग दी। यहां भविष्य की सडक़ों की बात करते हुए बताया गया […]
भोपाल.
भोपाल संभाग के पीडब्ल्यूडी इंजीनियर्स की ट्रेनिंग वर्कशॉप में चार तकनीक से सडक़ों को बेहतर रखने के बारे में जानकारी दी गई। मंत्री राकेश सिंह ने खुद इस वर्कशॉप को वर्चुअल तरीके से संबोधित किया। प्रशिक्षण वर्कशॉप में मुख्य अभियंता के दल ने ट्रेनिंग दी। यहां भविष्य की सडक़ों की बात करते हुए बताया गया कि अभी अल्ट्रा हाई परफॉर्मेंस कंक्रीट यूएचपीसी रोड का चलन है। इससे हल्की और मजबूत सडक़ें व पुल बनाए जाते हैं। इसी तरह जीएफआरपी यानि ग्लास फाइबर रिइनफोर्स पॉलिमर तकनीक से जंग प्रतिरोधी, हल्का व मजबूत निर्माण संभव है। एफडीआर यानि फुल डेप्थ रिक्लेमेशन तकनीक से मौजूदा रोड की सामग्री से ही नई रोड के लिए सामग्री बनाए ताकि सस्ती व मजबूत सडक़ों का निर्माण हो। यहां व्हाइट टॉपिंग के बारे में भी बताया गया। इससे सडक़ की उम्र 15 से 20 साल तक बढ़ाई जा सकती है। नमीं वाले क्षेत्रों में माइक्रो सेर्फेसिंग तकनीक का उपयोग करने का कहा, जिससे उपर परत चिकनी और मजबूत बने। पानी के दौरान भी सुरक्षित रहे। गड्ढों की समस्या न हो। जियोग्रिड व ग्लासग्रिड तकनीक से कमजोर मिट्टी वाले स्थानों पर सडक़ों को अतिरिक्त मजबूती देकर उनमें दरार को रोकने में मदद मिलती है। यहां निर्माण के दौरान पेड़ों को काटने की बजाय उनकी शिफ्टिंग पर काम करने पर जोर दिया गया। यहां शिक्षाविद् श्रीकांत तोमर ने ट्रेनिंग नीड असेसमेंट सत्र में अभियंताओं से सवालों का जवाब भी दिया।