प्रदेश के 7000 सरकारी स्कूलों के हजारों बच्चे प्रभावित, सेहत से लेकर कॅरियर पर पड़ रहा बुरा असर
भोपाल। school education के लिए class rooms में रोशनी की कमी है। प्रदेश के student कम रोशनी में पढ़ रहे हैं, जिसका असर उनके carriar और health पर हो रहा है। राजधानी सहित प्रदेश के 7000 स्कूलों में ऐसे हालात हैं। इसके समाधान के लिए स्कूल शिक्षा विभाग 14 करोड़ रुपये खर्च कर एलईडी लाइट्स लगवाने जा रहा है।
प्रदेश के 7125 हाई और हायर सेकंडरी स्कूल ऐसे हैं, जहां हजारों students तो हैं लेकिन क्लासरूम में बल्ब नहीं हैं। सर्दी से बचने के लिए अगर खिड़कियां बंद कर दी जाएं तो अंधेरा छा जाता है। एक सर्वे में सामने आया है कि इसका सीधा असर बच्चों की सीखने की क्षमता पर पड़ रहा है। यह सर्वे स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कराया गया है। ठंड के दौरान स्थिति सबसे ज्यादा खराब होती है, क्योंकि सर्दी से बचने के लिए स्कूलों में खिड़कियां और दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, जिससे माहौल पढ़ाई के लायक नहीं रहता। इसी के चलते स्कूलों में दूधिया रोशनी होगी।
लोक शिक्षण विभाग ने स्कूलों में bulb और tubelight लगाने के निर्देश जारी किए हैं। हर स्कूल को कक्षा में रोशनी के लिए 20 हजार रुपये दिए जाएंगे। इस तरह 7125 स्कूलों पर करीब 14 करोड़ रुपये खर्च होने हैं।
स्कूलों में 8 महीने से कक्षाएं चल रही हैं। बोर्ड परीक्षा की तैयारी के दौर में लोक शिक्षण संचालनालय को क्लासरूम में रोशनी की याद आई। स्कूलों की मरम्मत मद की योजना से लाइट की खरीदारी की जाएगी। विकासखंड स्तर पर जिम्मेदारी दी गई है।
ये हैं मानक…
classroom में 300 से 500 लक्स वर्ग मीटर रोशनी: रोशनी की तीव्रता लक्स में मापी जाती है, जो एक इकाई है। यह किसी क्षेत्र में रोशनी से होनी वाली चमक के स्तर के आधार पर गणना की जाती है। एक्सपर्ट के मुताबिक, एक क्लासरूम में 300 से 500 लक्स लेवल की रोशनी की जरूरत होती है, जिसे चार एलईडी बल्ब से पूरा किया जा सकता है। वॉट के आधार पर यह संख्या कम और बढ़ सकती है।
स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई लायक रोशनी नहीं मिल रही है। सर्दी में खिड़कियां बंद होने के कारण यह स्थिति बनती है। कई जगहों से इसकी शिकायतें आई हैं। ऐसे में अब स्कूलों में एलईडी लाइट्स लगाई जाएंगी।
डीएस कुशवाहा, संचालक लोक शिक्षण संचालनालय