बीकानेर में राज्य स्तरीय समान परीक्षा योजना के तहत आयोजित कक्षा 11 की अर्द्धवार्षिक परीक्षा में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। परीक्षा केंद्रों में परीक्षा का पूरा प्रश्नपत्र ही आउट ऑफ सिलेबस दिया गया।
State Level Common Examination Scheme: बीकानेर। राज्य स्तरीय समान परीक्षा योजना के तहत आयोजित कक्षा 11 की अर्द्धवार्षिक परीक्षा में हाईटेक शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। परीक्षा केंद्रों में 'आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत' विषय का प्रश्न-पत्र बांटा गया। पेपर देखकर परीक्षार्थियों के होश उड़ गए। दरअसल पूरा प्रश्न-पत्र आजादी से पहले के भारत से संबंधित था। परीक्षार्थियों ने तैयारी आजादी के बाद की थी और सवाल इतिहास के एकदम उलट कालखंड से पूछे गए।
29 नवंबर को आयोजित परीक्षा में प्रश्न-पत्र दो खंडों में था, लेकिन दोनों ही खंडों में पूछे गए सवाल आजादी से पहले की घटनाओं पर आधारित थे। पेपर का नाम 'आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत' छपा था, जबकि इसकी सामग्री पूरी तरह 'आजादी से पूर्व का भारत' सिलेबस जैसी निकली।
वहीं अरस्तू के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने कहा, पेपर को देखकर लगता है कि विभाग को इसका नाम 'आजादी के पहले का भारत' रख देना चाहिए। नाम छापा 'आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत' और सारे प्रश्न आजादी से पहले के पूछे। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
खंड-अः बहुविकल्पी और रिक्त स्थान वाले सभी प्रश्न गलत कालखंड के थे। इनमें रेगुलेटिंग एक्ट, प्लासी का युद्ध, भू-राजस्व व्यवस्था व जमींदारी, कांग्रेस का पहला विभाजन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना जैसे प्रश्न शामिल थे। रिक्त स्थानों में भी सभी प्रश्न आजादी से पहले की घटनाओं पर आधारित थे।
खंड-बः अति लघुत्तरात्मक, लघुत्तरात्मक, दीर्घ उत्तरात्मक और निबंधात्मक प्रश्नों में भी इतिहास का वही कालखंड दोहराया गया। बक्सर का युद्ध, लार्ड डलहौजी की विलय नीति, 1876 में इंडियन एसोसिएशन का गठन, बंगाल विभाजन, राष्ट्रीय आंदोलन का उदारवादी युग, गांधी-इरविन समझौता आदि प्रश्न इस खंड में थे। इनमें से एक भी प्रश्न आजादी के बाद की किसी घटना या नीति से संबंधित नहीं था, जिससे पूरा प्रश्नपत्र आउट ऑफ सिलेबस साबित हुआ।