शिवकुमार ने बताया कि आम दिनों की तरह दोपहर में उनके मोबाइल पर एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और बोला कि मुंबई में आपके खिलाफ एक व्यक्ति को परेशान करने की शिकायत है।
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: माध्यमिक शिक्षा कार्यालय से सहायक लेखाधिकारी पद से सेवानिवृत्त बुजुर्ग शिवकुमार (62) को वो दिन सीख देकर गया। वे अपनी बेटी और पत्नी की सजगता के चलते साइबर ठगी से बच गए। अब वे अपने दोस्तों, परिचितों और आसपास के लोगों को भी पत्रिका रक्षा कवच पढ़ने की सीख दे रहे हैं।
शिवकुमार ने बताया कि आम दिनों की तरह दोपहर में उनके मोबाइल पर एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और बोला कि मुंबई में आपके खिलाफ एक व्यक्ति को परेशान करने की शिकायत है। बोला- शिकायत की पूरी जानकारी के लिए मोबाइल में आठ या नौ नंबर दबाएं।
आठ नंबर दबाते ही कॉल अन्य व्यक्ति के पास डायवर्ट हो गई। उसने शिकायत के मामले में वारंट जारी होने की बात कही। वारंट का नाम सुनते ही मैं घबरा गया और उसके कहे अनुसार नाम, पता, जन्मतिथि और आधार नंबर पूछा। इसके बाद जैसे ही मुझसे ओटीपी पूछा पास में खड़ी मेरी बेटी व पत्नी ने मेरे हाथ से मोबाइल छीनकर कॉल काट दी। बेटी बोली- ये साइबर ठग हैं पापा… पत्रिका रक्षा कवच पढ़ो … और मैं ठगी से बच गया।
बुजुर्ग ने बताया कि पत्नी व बेटी ने कहा कि पिछले कई दिनों से राजस्थान पत्रिका में साइबर ठगी और बचाव के बारे में पत्रिका रक्षा कवच अभियान चला रहा है। इसके बावजूद आप फोन पर अनजान को व्यक्तिगत जानकारी दे रहे हैं। बाद में मैंने तुरंत बैंक में संपर्क किया और खाते संबंधी सुरक्षा की गुहार की। इसके बाद बीकानेर के नयाशहर पुलिस थाने में भी शिकायत की। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
शिवकुमार ने साइबर ठगी का शिकार होने से बचने पर राजस्थान पत्रिका का आभार जताया है। उसने कहा कि राजस्थान पत्रिका के रक्षा कवच अभियान को लेकर हर दिन खबरें प्रकाशित हो रही हैं। इन खबरों व साइबर ठगी के तरीके व बचाव के बारे में पढक़र पूरा परिवार जागरूक हुआ। इसी कारण वह साइबर ठगी का शिकार होने से बचा। इसके लिए राजस्थान पत्रिका का आभार।