बिलासपुर

CG High Court: प्राध्यापक भर्ती मामले में गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी को शपथपत्र देने के निर्देश, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

CG High Court: कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलील सुनकर अपने आदेश में, विश्वविद्यालय को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि संबंधित नियुक्ति के लिए निकाला गया।

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Oct 28, 2025
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Photo Patrika)

CG High Court: गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी (सीयू) में सहायक प्रध्यापकों की भर्ती के मामले में हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन को शपथपत्र पर स्पष्ट जवाब देने के निर्देश दिए हैं। नियुक्ति प्रक्रिया में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के नियमों की अनदेखी के सवाल पर सोमवार को यूनिवर्सिटी की ओर से कोर्ट द्वारा चाही गई जानकारी नहीं दी जा सकी।

एक अभ्यर्थी नवीन चौबे ने अधिवक्ता आशुतोष शुक्ल के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। पिछली बार 9 अक्टूबर को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलील सुनकर अपने आदेश में, विश्वविद्यालय को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि संबंधित नियुक्ति के लिए निकाला गया।

विज्ञापन, पद एवं उसमें मांगी गई योग्यता क्या एनसीटीई के नियमों के अनुरूप है? सोमवार को सुनवाई में विश्वविद्यालय के अधिवक्ता न्यायालय में संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके द्य अपने पिछले आदेश का उचित परिपालन विश्वविद्यालय द्वारा नहीं किए जाने के कारण कोर्ट ने कुलपति,रजिस्ट्रार को शपथ पत्र में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।

विवि प्रबंधन की कार्यशैली संदिग्ध

याचिकाकर्ता का कहना है कि विश्वविद्यालय के अधिवक्ता का बयान कुलपति के भूमिका एवं कार्यशैली को संदिग्ध बनता है। विश्वविद्यालय के वकील द्वारा यह कहा गया कि केस से संबंधित समस्त जानकारी कुलपति को है। इससे वकील ने विश्वविद्यालय का बचाव करते हुए उल्टा कुलपति को ही कटघरे मे खड़ा कर दिया है।

जवाब पर कोर्ट ने जताया असंतोष

बता दें कि कोर्ट द्वारा विश्वविद्यालय के अधिवक्ता को उच्च अधिकारी कुलपति को मामला सूचित करके त्वरित निदान (उचित जवाब या विज्ञापन में अनियमितता सुधार) हेतु कहने पर विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि कुलपति को इस मामले की पूरी एवं स्पष्ट जानकारी है। यूनिवर्सिटी के वकील ने कोर्ट को एनसीटीई रेगुलेशन के कुछ हिस्से दिखाए। इन नियमों का पालन न होने के आधार पर ही याचिका दायर की गई है। अत: उक्त दस्तावेज देख कर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ क्योंकि पिछले आदेश में जिन बातों का उत्तर देने के लिए कहा गया था उसका उत्तर उसमें नहीं है।

Updated on:
28 Oct 2025 10:55 am
Published on:
28 Oct 2025 10:48 am
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