CG News: अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर चढ़कर देश का झंडा फहराए, लेकिन पैसों की कमी बाधा बन रही है। इससे पहले वह यूरोप की सबसे ऊंची चोटी एल्ब्रुस फतह कर चुकी है।
CG News: कहते हैं जब सपना ऊंची उड़ान का हो तो मंजिल कितनी भी दूर हो, अंत में मिल ही जाती है। कुछ प्रतिभा ऐसी होती है, जिनमें जज्बा तो बहुत होता है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से प्रतिभा समाप्त हो जाती है। ऐसा ही परिस्थिति से जूझ रही है बिलासपुर की ऑटो चालक की बेटी और पर्वतारोही निशा यादव। उसका सपना है कि वो भी अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो पर चढ़कर देश का झंडा फहराए, लेकिन पैसों की कमी बाधा बन रही है। इससे पहले वह यूरोप की सबसे ऊंची चोटी एल्ब्रुस फतह कर चुकी है।
शहर की चिंगराजपारा निवासी निशा यादव ने बताया कि उनके पिता ऑटो चालक है। घर का सारा खर्च पिता की कमाई पर चलता है। मेरा बचपन से ही कुछ अलग करने का जज्बा था। मुझे प्रकृति के बीच रहना और पहाड़ों पर चढ़ना अच्छा लगता है। पिता ने मेरे इस शौक को बरकरार रखने के लिए मुझे अरुणाचल में माउंटेनियरिंग कोर्स पूरा करवाया। मेरा सपना अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (19341 फीट) पर देश का झंडा फहराकर बिलासपुर, हमर छत्तीसगढ़ और देश का नाम रोशन करना है। लेकिन मेरे पास फीस के लिए पैसे नहीं है। पहले पड़ोसी व रिश्तेदार चिढ़ाते थे कि पहाड़ चढ़ना भी कोई शौक है, लेकिन जब मेरा जज्बा, सफलता और स्वागत-सम्मान देखा, तो वहीं अब मिसाल देने लगे हैं।
राजनीति विज्ञान में एमए निशा यादव ने कहा कि उन्होंने आर्थिक सहायता के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री, जिले के विधायक सहित सामाजिक संस्थाओं से गुहार लगाई। लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। मुझे याद है जब मैं एल्ब्रुस फतह करके शहर लौटी थी, तो मुझे शहर की होनहार बेटी बताकर जिला प्रशासन सहित विभिन्न संस्थानों ने स्वागत, सम्मान किया था, लेकिन आज फीस के लिए 3.45 लाख रुपए एकत्र नहीं हो पा रहे हैं। बिना मदद के मेरा सपना टूटते नजर आ रहा है। अगर सहयोग मिला तो किलिमंजारो और माउंट एवरेस्ट पर भारत का तिरंगा फहराना चाहूंगी।