GST: नई दिल्ली में आज वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की एक अहम बैठक हुई। GST परिषद की इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक सुदृढ़ और पारदर्शी बनाना था। आइए जानते है पूरी खबर।
GST: नई दिल्ली में आज 2 नवंबर सोमवार के दिन वस्तु एवं सेवा कर परिषद की एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें देश के कई राज्यों के वित्त मंत्रियों और अधिकारियों ने भाग लिया था। इस बैठक में जीएटी के तहत क्षतिपूर्ति उपकर, कर प्रणाली के सरलीकरण, और राज्यों के राजस्व में संतुलन बनाए रखने जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
जीएटी परिषद की इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक सुदृढ़ और पारदर्शी बनाना था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय समन्वय को बेहतर करने और GST क्षतिपूर्ति उपकर को जारी रखने के मुद्दे पर विचार-विमर्श हुआ।
छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने परिषद में महत्वपूर्ण सुझाव रखे। उन्होंने राज्यों को क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि बढ़ाने की मांग की, ताकि जीएटी से होने वाले राजस्व घाटे को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा, "GST प्रणाली ने राज्यों की वित्तीय संरचना को सरल बनाया है, लेकिन राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए केंद्र से अधिक सहयोग की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ के वित्त सचिव मुकेश बंसल ने कहा कि राज्यों के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए एक दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है। उन्होंने GST के सरलीकरण और राज्यों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने का सुझाव दिया।
बैठक में असम, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। GST प्रणाली में कर दरों को तर्कसंगत बनाने और छोटे व्यापारियों के लिए अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर जोर दिया गया। केंद्र सरकार ने सुझाव दिया कि डिजिटलाइजेशन के माध्यम से GST की निगरानी को मजबूत किया जाए। परिषद ने E-Way बिल, इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC), और छोटे व्यवसायों के लिए वार्षिक रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया को सरल बनाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
बैठक में क्षतिपूर्ति उपकर को लेकर राज्यों के बीच गहरी बहस हुई। कई राज्यों ने इसे बढ़ाने की मांग की, जबकि कुछ ने इसका विकल्प ढूंढने का सुझाव दिया। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर विचार करेगी और राज्यों के हितों को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा।