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Mukesh Ambani vs Elon Musk: भारत में स्पेक्ट्रम नियंत्रण की लड़ाई में आया नया मोड़

Mukesh Ambani vs Elon Musk: भारत में स्पेक्ट्रम नियंत्रण की लड़ाई में नया मोड़ आयाभारत में सॅटॅलाइट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का वितरण किस तरह किया जाए, इस पर बेहेस पिछले साल से ही चल रही है। स्टरलिंक और अमेजन के प्रोजेक्ट कुइपर जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां प्रशासनिक आवंटन का समर्थन करती है, जबकि अंबानी नीलामी प्रक्रिया की वकालत करते है।

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Oct 16, 2024

Mukesh Ambani vs Elon Musk: भारत में स्पेक्ट्रम नियंत्रण की लड़ाई में नया मोड़ आया है, सेटेलाइट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का वितरण किस तरह किया जाए, इस पर बेहेस पिछले साल से ही चल रही है। स्टारलिंक और अमेज़न के प्रोजेक्ट कुइपर जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां प्रशासनिक आवंटन का समर्थन करती है, जबकि अंबानी नीलामी प्रक्रिया की वकालत करते है।

मुकेश अंबानी ने (TRAI) को एक पत्र लिखकर सेटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग की (Mukesh Ambani vs Elon Musk)

भारत में सेटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत में पहले ही काफी देरी हो चुकी है, और अब यह देरी और बढ़ने की संभावना है। इसकी वजह हैं भारत के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी, जिन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) को एक पत्र लिखकर सेटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग की है।

मुकेश अंबानी का मानना है कि सेटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम का सीधा आवंटन न करके, इसे नीलाम किया जाना चाहिए। यह तर्क अंबानी ने TRAI को एक निजी पत्र में दिया, जो 10 अक्टूबर को भेजा गया था। हालांकि यह पत्र अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन इसके बारे में जानकारी रॉयटर्स के माध्यम से सामने आई है।

सेटेलाइट स्पेक्ट्रम और भारत का भविष्य (Mukesh Ambani vs Elon Musk)

Mukesh Ambani vs Elon Musk: भारत में सेटेलाइट स्पेक्ट्रम के उपयोग से इंटरनेट को दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाया जा सकेगा, जहां परंपरागत ब्रॉडबैंड सेवाएं नहीं पहुंच पाती हैं। डेलॉइट के अनुसार, भारत में सेटेलाइट सेवा का बाजार हर साल 36% की दर से बढ़ने का अनुमान है, और 2030 तक यह लगभग 1.9 अरब डॉलर का हो सकता है। हालांकि, यह विवाद अब बड़ा हो गया है, जिससे इस तकनीक के भारत में लागू होने में और देरी की संभावना बन गई है।

क्या है मामला? (Mukesh Ambani vs Elon Musk)

भारत में जब भी स्पेक्ट्रम की बात होती है, आमतौर पर इसे नीलामी के माध्यम से बेचा जाता है। हाल ही में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी इसी प्रक्रिया से हुई थी। लेकिन सरकार ने सेटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए फिक्स प्राइस (स्थिर मूल्य) पर आवंटन का प्रस्ताव रखा है, जिसमें नीलामी नहीं होगी।

एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक और अमेजॉन जैसी दिग्गज कंपनियां भी भारत में सेटेलाइट इंटरनेट की दौड़ में शामिल हैं। मस्क ने TRAI के उस फैसले का समर्थन किया है, जिसमें कहा गया है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के बजाय फिक्स प्राइस पर होना चाहिए।

मुकेश अंबानी का पक्ष (Mukesh Ambani vs Elon Musk)

Mukesh Ambani vs Elon Musk: भारत में स्पेक्ट्रम नियंत्रण की लड़ाई में नया मोड़ आयामुकेश अंबानी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सेटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी की जानी चाहिए ताकि सभी कंपनियों को बराबरी का मौका मिल सके। अंबानी का तर्क है कि अगर स्पेक्ट्रम का आवंटन फिक्स प्राइस पर होता है, तो विदेशी कंपनियां जैसे स्टारलिंक और अमेजॉन भारत के डेटा और वॉइस बिजनेस में भी उतर सकती हैं, जिससे घरेलू टेलीकॉम कंपनियों को नुकसान होगा।

रिलायंस के अधिकारी ने टेलीकॉम मंत्री को पत्र लिखा

ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने TRAI के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा कि बिना किसी गहन अध्ययन के TRAI ने स्पेक्ट्रम की नीलामी को नकार कर, इसका सीधा आवंटन क्यों तय किया?

एलन मस्क क्या चाहते हैं ?

एलन मस्क (Elon Musk) भारत में अपनी स्टारलिंक सेवा को जल्द से जल्द शुरू करने के इच्छुक हैं। मस्क चाहते हैं कि स्पेक्ट्रम का आवंटन फिक्स प्राइस पर हो, ताकि उनकी कंपनी बिना किसी नीलामी की प्रक्रिया से गुजरे भारतीय बाजार में प्रवेश कर सके। मस्क की स्टारलिंक सेवा का उद्देश्य पूरे विश्व में सस्ती और तेज़ इंटरनेट सेवा पहुंचाना है, जिसमें भारत जैसे बड़े बाजार की भूमिका अहम होगी।

अमेजॉन भी है दौड़ में

एलन मस्क (Elon Musk) के अलावा, अमेजॉन भी सेटेलाइट इंटरनेट के क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी में है। अमेजॉन की योजना अपनी कुइपर प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत में सेटेलाइट इंटरनेट सेवा देने की है। अगर स्पेक्ट्रम का आवंटन फिक्स प्राइस पर होता है, तो यह दोनों विदेशी कंपनियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।

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