सुधीर ने डॉमेस्टिक क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया जिसके आधार पर उन्हें भारतीय टीम में एंट्री मिली। लेकिन उनका ये दौर ज्यादा लम्बे समय तक नहीं चल पाया था। उन्होंने इंडिया के लिए कुल तीन टेस्ट और दो वनडे मैच खेले और इस बीच एक कॉन्ट्रोवर्सी से भी गुजरे। जिसमें उनके ऊपर मोजे चुराने का आरोप लगा और इस कारण उनको कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़े।
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो मैदान के खेल से ज्यादा अपने विवादों और चर्चाओं के लिए याद की जाती हैं। सुधीर नायक की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर, जिन्होंने अपने छोटे से अंतरराष्ट्रीय करियर से ज्यादा अपने डॉमेस्टिक प्रदर्शन और एक चर्चित घटना के लिए सुर्खियां बटोरीं।
सुधीर ने डॉमेस्टिक क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया जिसके आधार पर उन्हें भारतीय टीम में एंट्री मिली। लेकिन उनका ये दौर ज्यादा लम्बे समय तक नहीं चल पाया था। उन्होंने इंडिया के लिए कुल तीन टेस्ट और दो वनडे मैच खेले और इस बीच एक कॉन्ट्रोवर्सी से भी गुजरे। जिसमें उनके ऊपर मोजे चुराने का आरोप लगा और इस कारण उनको कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़े।
1974 में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड दौरे पर थी। क्रिकइंफो के अनुसार, इस दौरे से पहले सुधीर नायक लंदन के मशहूर मार्क्स एंड स्पेंसर स्टोर गए थे। वहां उन पर मोज़े चुराने का आरोप लगा। सुधीर ने इस आरोप का पुरजोर खंडन किया, लेकिन यह मामला तूल पकड़ गया। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय टीम के मैनेजर हेमू अधिकारी इस मामले को और तूल देने के मूड में नहीं थे। उन्होंने सुधीर को सलाह दी कि इस गलती को स्वीकार कर लिया जाए ताकि मामला शांत हो।
हालांकि, यह विवाद यहीं नहीं थमा। क्रिकेट काउंटी के अनुसार, लंदन में मौजूद भारतीय हाई कमिश्नर ने सुधीर को देश छोड़ने के लिए कह दिया। इस फैसले से भारतीय प्रशंसक और समुदाय काफी नाराज़ हुए। बात इतनी बढ़ी कि मामला ब्रिटिश मीडिया तक पहुंच गया। आखिरकार, सुधीर को कोर्ट में पेश होना पड़ा, जहां उन पर मोज़े चुराने के आरोप में जुर्माना लगाया गया। यह घटना सुधीर के करियर का एक ऐसा दाग बन गई, जो उनके क्रिकेट कौशल पर भारी पड़ गया।
इस विवाद के बाद भी सुधीर नायक ने हार नहीं मानी। 4 जुलाई 1974 को उन्होंने इंग्लैंड के एजबेस्टन में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया। पहली पारी में उन्होंने 4 रन बनाए, लेकिन दूसरी पारी में 77 रनों की शानदार पारी खेली। दुर्भाग्यवश, भारतीय टीम यह मैच एक पारी और 78 रनों से हार गई। यह हार उस सीरीज की कहानी का हिस्सा थी, जिसमें भारत को लगातार निराशा हाथ लगी।
सुधीर नायक का अंतरराष्ट्रीय करियर भले ही छोटा रहा, लेकिन डॉमेस्टिक क्रिकेट में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। 85 प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने 35.29 की औसत से 4376 रन बनाए। उनकी कप्तानी में मुंबई ने 1970-71 में रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता, जो उनके करियर का एक सुनहरा पल था। सुधीर की बल्लेबाजी और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें घरेलू क्रिकेट में एक सम्मानित नाम बनाया।