Terror Of Wildlife:करीब 490 गांवों में इन दिनों वन्यजीवों की दहशत फैली हुई है। बीते कुछ ही दिनों के भीतर कई लोग वन्य जीवों का शिकार हो चुके हैं। लोग खुद को न तो खेत-खलिहानों और न घरों में ही सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बड़ी बात ये है कि इन गांवों में वन्यजीव घरों में भी लोगों को मार चुके हैं।
Terror Of Wildlife:वन्यजीवों के हमलों की घटनाएं बढ़ने से लोग दहशत में हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में 490 गांव वन्यजीवों के हमलों की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हो गए हैं। इन गांवों में तेंदुआ, बाघ, भालू और हाथियों की आवाजाही से लोगों में भय का माहौल है। खूंखार वन्य जीव लोगों पर लगातार हमले कर रहे हैं। इसके चलते गांवों के लोग खेतों में काम करने से भी डर रहे हैं। बच्चों को सुरक्षित स्कूल भेजना और वापस लाना इनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है। शाम ढलते ही लोग खुद को घरों में कैद करने पर विवश हो रहे हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए वन विभाग ने कुछ गांवों में झाड़ियों का कटान और फेसिंग के काम भी किए हैं, लेकिन ये नाकाफी साबित हो रहे हैं। सुनसान रास्ते और पानी के स्रोतों के आसपास वन्यजीव हमलों की सबसे अधिक घटनाएं घट रही हैं। इधर, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन रंजन कुमार मिश्रा के मुताबिक, मानव वन्य जीव संघर्ष के लिहाज से संवेदनशील इलाके चिन्हित किए गए हैं। उनमें संघर्ष रोकने के लिए उपाय और जागरूकता की गाइडलाइन भी जारी की गई है। साथ ही लोगों को सतर्क भी किया जा रहा है।
इस साल जनवरी से अब तक वन्य जीव हमलों में 40 लोगों की मौत हो चुकी है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, इस साल बाघ के हमलों में 11, गुलदार के हमलों में नौ, हाथी के हमलों में सात, सर्पदंश से पांच जबकि भालुओं के हमलों में आठ लोग जान गंवा चुके हैं। विभाग ने वन्य जीवों के हमलों की दृष्टि से पिथौरागढ़ में 86 गांव, गढ़वाल में 71 गांव, बागेश्वर में 48 गांव, सीटीआर में 45 गांव, हरिद्वार में 35 गांव, रामनगर व रामनगर में 35-35 गांव तराई पश्चिम में 29 जबकि हल्द्वानी में 26 गांवों को संवेदनशील घोषित किया है।
उत्तराखंड के श्रीनगर के कोटी गांव में गुरुवार शाम गुलदार के हमले में एक वृद्धा की मौत हो गई। 60 वर्षीय गिन्नी देवी पत्नी सुरेंद्र सिंह बहू व अन्य महिलाओं के साथ खेतों में घास काटने गईं थी। इसी दौरान गुलदार ने बुजुर्ग पर हमला कर दिया। गुलदार को देख महिला की बहू बेहोश होकर गिर पड़ी। महिलाओं के शोर मचाने पर गुलदार वहां से भाग गया। पूर्व प्रधान जगमोहन सिंह पंवार के मुताबिक गिन्नी देवी की मौके पर ही मौत हो गई। पौड़ी के डीएफओ अभिमन्यु सिंह ने बताया कि वन विभाग की टीम मौके पर गश्त कर रही है। पीड़ित परिवार को तत्काल छह लाख रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है।
उत्तराखंड में वन्य जीवों का आतंक छाया हुआ है। पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लाक में गुलदार की दहशत के बाद प्राइमरी स्कूल बासई तल्ली को गांव के ही पंचायत भवन पर शिफ्ट कर दिया गया है। इस स्कूल को पंचायत भवन पर संचालित करने के लिए एसएमसी ने शिक्षा विभाग से गुहार लगाई थी। इस प्रस्ताव के बाद प्राइमरी स्कूल को गांव के पंचायत भवन पर संचालन को लेकर उप शिक्षा अधिकारी ने हरी झंडी दे दी। पोखड़ा ब्लाक के बगड़ीगाड़ गांव में बीती 13 नवंबर को एक महिला को गुलदार ने निवाला बना लिया था साथ ही दो दिन बाद ही घंडियाल गांव में भी एक अन्य महिला को गुलदार ने घायल किया था। गुलदार के इन हमलों के बाद चार दिन तक ब्लाक के 12 स्कूलों पठन-पाठन के लिए बंद रहे। बुधवार को इन स्कूलों को दुबारा खोल दिया गया था।