Weather Conditions:बारिश के इंतजार में आधा दिसंबर बीत चुका है। नवंबर भी सूखा-सूखा ही निकल गया था। बारिश-बर्फबारी नहीं होने के कारण किसानों की चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं। हालात ये ही रहे तो फसलें बर्बाद होने की कगार पर पहुंच जाएंगी।
Weather Conditions:बारिश नहीं होने से फसलें सूखने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। इससे काश्तकारों की चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। दरअसल, उत्तराखंड में नवंबर और दिसंबर में बारिश-बर्फबारी हुआ करती थी। इससे फसलों को काफी लाभ पहुंचता था। इस बार नंबवर में 98 फीसद कम बारिश हुई, जबकि 15 दिसंबर तक राज्य में एक बूंद भी बारिश नहीं होने से संकट गहरा रहा है। इसका असर आगे की फसलों पर भी पड़ेगा। बारिश की कमी से उत्तरकाशी के सेब उत्पादक परेशान हैं। सेब के लिए 25 दिन का चिलिंग ऑवर्स जरूरी हैं। बागवानों के मुताबिक, सेब के लिए बर्फबारी जरूरी है। इस बार बारिश और बर्फबारी नहीं हुई है। अगर इस महीने में आगे भी ऐसा रहता है और जनवरी में भी बर्फ नहीं गिरी तो सेब किसानों को बड़ा नुकसान होगा। चमोली जिले के काश्तार भी बारिश की कमी से परेशान हैं। हरिद्वार समेत मैदानी जिलों में भी किसानों को बारिश नहीं होने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। सिंचाई के लिए ट्यूबवैल का ज्यादा प्रयोग करना पड़ रहा है। ऐसे में खेती की लागत बढ़ रही है, जिससे किसान परेशान हैं।
उत्तरकाशी की रवाईं घाटी में अक्तूबर तक खेतों में नमी होने की वजह से किसानों ने मटर, गेंहू की बुवाई कर दी थी। नवंबर में महज .1 एमएम ही बारिश हुई। यह बारिश सामान्य 6.1 एमएम से 98 फीसदी कम रही। नवंबर में प्रदेश में नौ जिलों में बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी। 14 दिसंबर तक एक बूंद बारिश की नहीं हुई है। जबकि सामान्य बारिश 6.3 एमएम बारिश है। मौसम निदेशक डॉ. सीएस तोमर के मुताबिक प्रदेश में अभी मौसम शुष्क बना है। बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में 21 दिसंबर तक मौसम शुष्क रहने की संभावना बनी हुई है। फिलहाल किसी भी जिले में बारिश का कोई पूर्वानुमान नहीं है। उन्होंने बताया कि आज चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिले के ऊंचाई वाले स्थानों पर हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
बारिश नहीं होने से जमीन की नमी भी कम होने लगी है। चमोली जिले में डेढ़ महीने से बारिश नहीं होने से गेंहू, जौ, मटर, राई, सरसों की फसल पर असर पड़ा है। बारिश नहीं होने और पाला पड़ने से जमीन की नमी कम हुई है। कृषि के जानकार तेजपाल कहते हैं कि आगे भी ऐसी स्थिति रही तो यह संकट बड़ा होगा। जनवरी, फरवरी में अगर बारिश हो जाती है तो आगे की फसलें नुकसान से बच जाएंगी। लेकिन इस सप्ताह बारिश की संभावना बेहद कम है।