Abhimanyu love story: अभिमन्यु और वत्सला की प्रेम कहानी को सफल बनाने में घटोत्कच का योगदान अविस्मरणीय है। क्योंकि घटोत्कच अपनी माया और बुद्धिमानी से यह कदम न उठाते तो वत्सला और अभिमन्यु की प्रेम कहानी अधूरी रह जाती।
Abhimanyu love story:महाभारत के अभिमन्यु की वीरगाथा की कहानी दुनिया में जग जाहिर है। हर कोई अभिमन्यु की वीरता से वाकिफ है। कुरूक्षेत्र के मैदान में मात्र 16 वर्ष के इस बालक ने बड़े-बड़े दिग्गज और महारथियों के छक्के छुड़ा दिए थे। लेकिन क्या आपको पता कि अभिमन्यु की एक प्रेम कहानी भी थी? जिसमें घटोत्कच ने अभिमन्यु की मदद की थी। आइए जानते हैं अभिमन्यु की प्रेम कहानी।
अभिमन्यु की प्रेम कहानी महाभारत के प्रसंगों में से एक प्रसिद्ध घटना है। जिसमें घटोत्कच का भी अहम योगदान रहा है। अभिमन्यु बलराम की पुत्री से प्रेम करते थे। जिसका नाम वत्सला था। मान्यता है कि वत्सला भी अभिमन्यु को बेहद पंसद करती थी। लेकिन वत्सला के पिता बलराम उसका विवाह दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण कुमार के साथ करना चाहते थे। अभिमन्यु और वत्सला के लिए यह मुद्दा चुनौतीपूर्ण बन गया था। क्योंकि वत्सला भी लक्ष्मण कुमार से विवाह करना नहीं चाहती थी।
अभिमन्यु, अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र थे। अभिमन्यु पांडवों के कुल का हिस्सा होने के कारण कौरवों के प्रति शत्रुता रखते थे। वत्सला भी अभिमन्यु से प्रेम करती थीं। लेकिन अपने पिता के भय की वजह से कभी अपनी इच्छा व्यक्त नहीं कर पाईं।
अभिमन्यु के पास वत्सला को पाने के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं दिख रहा था। क्योंकि वह बलराम के सामने खुलकर अपनी बात नहीं कह सकते थे। ऐसे में उन्होंने अपने भाई घटोत्कच की मदद ली। बता दें कि घटोत्कच भीम और राक्षसी हिडिंबा के पुत्र थे। वह अपनी मायावी शक्तियों और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार घटोत्कच ने अपनी माया से वत्सला को एक पक्षी का रूप धारण करा दिया। जिससे वत्सला के पिता बलराम और उनके अनुयायी भ्रमित हो गए और वत्सला को अभिमन्यु के पास सुरक्षित पहुंचा दिया। घटोत्कच ने यह योजना इतनी चतुराई से बनाई गई थी कि बलराम भी तुरंत इसका समाधान नहीं निकाल सके।
मान्यता है कि घटोत्कच की मदद से अभिमन्यु और वत्सला एक-दूसरे से मिले और सफलतापूर्वक विवाह संपन्न हुआ। इसके बाद बलराम को भी यह विवाह स्वीकार करना पड़ा। क्योंकि वत्सला ने भी अभिमन्यु के साथ जीवन व्यतीत करने का निश्चय कर लिया था।
अभिमन्यु और वत्सला की प्रेम कहानी को सफल बनाने में घटोत्कच का योगदान अविस्मरणीय है। क्योंकि घटोत्कच अपनी माया और बुद्धिमानी से यह कदम न उठाते तो वत्सला और अभिमन्यु की प्रेम कहानी अधूरी रह जाती।