Bichiya Mahtva: सनतान धर्म में महिलाओं के लिए 16 श्रृंगार बताए गाए हैं। जिनमें से बिछिया भी एक है, जिसकी अपनी एक अलग पहचान है।
Bichhiya Mahatva: सनातन धर्म में महिलाओं के विवाह के बाद श्रृंगार रूप में कई चीजें पहनाई जाती हैं, जो कि बहुत महत्वपूर्ण और पुरानी परंपरा है। साथ ही उनका गहरा धार्मिक महत्व भी होता है। इन्हीं में से एक है पैरों में बिछिया पहनने की परंपरा। लेकिन क्या जानते हैं कि विवाह के बाद महिलाएं बिछिया क्यों पहनती हैं?
हिंदू धर्म में महिलाएं शादी के बाद अपने पैरों में चांदी के बिछिया पहनती हैं। इसका धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। बिछिया का संबंध रामायण से है। मान्यता है कि जब माता सीता को लंकापति रावण अपहरण करके ले गया था, तब माता सीता ने अपने पैर के बिछिया को रास्ते में उतार कर फेंक दिया था। क्योंकि भगवान श्रीराम उनकी खोज कर सकें और उनको रास्ता पहचानने में देरी नहीं होगी।
इसके साथ ही बिछिया का संबंध माता दुर्गा से माना जाता है। क्योंकि मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा के दिन उनको बिछिया अर्पित किए जाते हैं, जो कि शुभता का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि विवाहित महिलाए बिछिया अपने सुहाग की लंबी आयु और घर में सुख समृद्धि के लिए पहनती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार हिंदू धर्म में महिलाओं को बिछिया पहनने का विशेष महत्व बताया गया है। यह आयुर्वेद में मर्म चिकित्सा के अंतर्गत आता है। माना जाता है कि चांदी का बिछिया पहनने से महिलाओं में फर्टिलिटी की कमी नहीं होती है। इसके साथ ही यह महिलाओं के प्रजनन तंत्र को मजबूत रखते हैं। मान्यता है कि इससे शरीर में रक्त संचार ठीक रहता है।
जैसा कि महिलाओं के लिए शास्त्रों में 16 श्रृंगार का उल्लेख मिलता है। जो सनातन धर्म की किसी भी महिला के सुहाग के प्रतीक के साथ-साथ सौंदर्य का प्रतीक भी माना जाता है। उन्हीं श्रृंगारों में बिछिया भी शामिल है, जो महिलाओं के पैरों की सुंदरता का बढ़ाने का भी काम करता है।
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