. श्वेतांबर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट, जयनगर संघ में साध्वी अणिमाश्री ने कहा कि संसार का हर प्राणी सुख की चाह करता है। सुखमय जीवन बिताने की भावना होती है। इसके लिए सबसे पहली बात जीवन में निर्मलता होनी चाहिए। सभी के साथ समान व्यवहार हो, कपट-माया से रहित जीवन ही निर्मलता युक्त जीवन है। स्वभाव […]
. श्वेतांबर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट, जयनगर संघ में साध्वी अणिमाश्री ने कहा कि संसार का हर प्राणी सुख की चाह करता है। सुखमय जीवन बिताने की भावना होती है। इसके लिए सबसे पहली बात जीवन में निर्मलता होनी चाहिए। सभी के साथ समान व्यवहार हो, कपट-माया से रहित जीवन ही निर्मलता युक्त जीवन है। स्वभाव में शीतलता होनी चाहिए। व्यक्ति को दूसरे के वचनों से, व्यवहार से उग्रता आ जाती है, तुरंत व्यक्ति स्वभाव से विभाव में चला जाता है। ऐसा करने से बचें। स्वभाव में हमेशा के लिए चंदन सी शीतलता लाएं। सुख की आनंदानुभूति के लिए मन में पवित्रता होना चाहिए क्योंकि मन प्रतिपल, प्रतिक्षण अशुभ सोचता है। जो दुश्मन नहीं सोचता वह अपवित्र मन चिंतन करता है। मन में पवित्रता होना जरूरी है । वाणी में मधुरता हो, हृदय में उदारता का गुण हो, और दिल विशाल हो, सोच सकारात्मक होतो सुखी जीवन में आनंदानुभूति अवश्य होती ही है।साध्वी दिव्ययशा ने कहा कि यह सर्वश्रेष्ठ जीवन संसार के लिए या अध्यात्म की साधना के लिए पाया है। क्योंकि इसी शरीर से सम्यक्त्व की प्राप्ति होती है। एक भव अवतारी भी बन सकते हैं। मनुष्य वैसा पुरुषार्थ करे, सत्प्रयास करे, क्योंकि सम्यक्त्व की नींव डालना है। प्रचार-प्रसार मंत्री सागर बाफना ने बताया कि सभा में बाबू लाल रांका, सुरेश समदडि़या आदि उपस्थित थे। साध्वी कंचन कंवर ने मांगलिक प्रदान किया। संघ मंत्री पदमचंद बोहरा ने धन्यवाद दिया।