Gita Shlok: गीता का नियमित पाठ करने वाले साधक को श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि गीता पाठक को बड़ी से बड़ी परेशानी भी कर्मपथ से विचलित नहीं कर पाती। संसार की सच्चाई जानने के बाद गीता पाठक कभी पथभ्रष्ट नहीं होते।
Gita Shlok: सनातन धर्म में एकादशी का दिन आध्यात्मिक साधना और आत्ममंथन के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का स्मरण करना और उनके श्लोकों का पाठ करना मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है। श्रीमद्भगवद्गीता के ये 11 श्लोक आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। जानें इन सभी श्लोकों का हिंदी अर्थ।
"कर्म करने का अधिकार तुम्हारा है, लेकिन उसके फल पर नहीं।"
यह श्लोक सिखाता है कि किसी भी प्राणी को फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
"योग में स्थित होकर कर्म करो और आसक्ति को त्यागो।"
यह जीवन में संतुलन और निर्लिप्तता बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
"सफलता और असफलता में समान भाव रखना ही योग है।"
जीवन में धैर्य और संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
"जो व्यक्ति समस्त इच्छाओं का त्याग कर देता है, वह शांत हो जाता है।"
इच्छाओं का त्याग आत्मा की शुद्धि का मार्ग है।
"जो व्यक्ति अपने ही आत्मा में संतुष्ट है, वही सच्चा सुखी है।"
सच्चा सुख बाहरी साधनों में नहीं, आत्मा में है।
"विद्वान व्यक्ति सभी को समान दृष्टि से देखता है।"
यह श्लोक हमें समानता और विनम्रता का पाठ पढ़ाता है।
"मनुष्य स्वयं अपना मित्र और शत्रु है।"
अपने विचारों और कर्मों पर नियंत्रण से सफलता पाई जा सकती है।
"जो दुख में विचलित नहीं होता और सुख में आसक्त नहीं होता, वही स्थिर बुद्धि है।"
जीवन में स्थिरता और समता बनाए रखने की शिक्षा।
"असत्य से सत्य की ओर जाओ।"
सच्चाई के मार्ग पर चलने का संदेश।
"सभी कर्म मुझे अर्पित करो।"
यह श्लोक समर्पण और ईश्वर पर विश्वास का प्रतीक है।
"सभी धर्मों को त्यागकर मेरी शरण में आओ।"
ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखने की प्रेरणा।
धार्मिक मान्याताओं के अनुसार जो साधक एकादशी के दिन इन श्लोकों का मनन और पाठ करेगा, उसके जीवन में शांति और शुद्धता का वास होगा।