शांतिनगर में आयोजित धर्मसभा में साध्वी संयमलता ने कहा कि मानव को जीवन में दूसरों के प्रति प्रेम और मित्रता का भाव रखना चाहिए। प्रेम और मित्रता से जीवन की कठिनाइयों को आसानी से दूर किया जा सकता है। प्रेम और मैत्री का भाव से न केवल हम स्वयं शांति और सुख को प्राप्त करें, […]
शांतिनगर में आयोजित धर्मसभा में साध्वी संयमलता ने कहा कि मानव को जीवन में दूसरों के प्रति प्रेम और मित्रता का भाव रखना चाहिए। प्रेम और मित्रता से जीवन की कठिनाइयों को आसानी से दूर किया जा सकता है। प्रेम और मैत्री का भाव से न केवल हम स्वयं शांति और सुख को प्राप्त करें, बल्कि दूसरों को भी शांत और सुखी बना सकें। व्यक्ति के सुखी जीवन का रहस्य शरीर की स्थिरता, मन की एकाग्रता और भावों की पवित्रता होती है।
साध्वी ने कहा कि जीवन में अभाव और प्रभाव का होना दुख का कारण है। अभाव और प्रभाव में यदि सद्भाव जुड़ जाए तो जीवन सुखद बन जाता है। साध्वी रौनक प्रभा ने गीत की प्रस्तुति दी। इससे पहले कार्यक्रम की शुरूआत साध्वी ने नमस्कार महामंत्र और महावीर स्तुति के साथ की। तेयुप परामर्शक जितेंद्र घोषल ने स्वागत गीत प्रस्तुत करते हुए आगामी चातुर्मास के लिए मंगलकामनाएं व्यक्त की। इससे पहले साध्वी संयमलता का शांतिनगर में आगमन हुआ। इस मौके पर माणकचंद बलडोटा, पवन बच्छावत, महावीर नागसेठिया, चुन्नीलाल घोषल, कन्हैयालाल सिंघी, नरेंद्र सुराणा आदि मौजूद थे।