विल्सन गार्डन संघ में आयोजित नवपद आराधना के दौरान साध्वी आगमश्री ने कहा कि जीव को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। किसी को सुख देने से उसका प्रतिफल भी सुखदायी होता है, वहीं दुख या कष्ट पहुंचाने से उसका फल दुखदायी होता है। अति उग्र भाव से किया गया पुण्य या पाप […]
विल्सन गार्डन संघ में आयोजित नवपद आराधना के दौरान साध्वी आगमश्री ने कहा कि जीव को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। किसी को सुख देने से उसका प्रतिफल भी सुखदायी होता है, वहीं दुख या कष्ट पहुंचाने से उसका फल दुखदायी होता है। अति उग्र भाव से किया गया पुण्य या पाप तुरंत फल देता है।
साध्वी आगमश्री ने बताया कि साधु-संतों के सत्संग और समागम से मनुष्य के पुण्य में वृद्धि होती है और अनेक पापकर्म नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि श्रीपाल और मैना सुंदरी को नवपद आराधना करने के लिए प्रेरित किया गया, जिससे श्रीपाल राजा का कुष्ठ रोग धीरे-धीरे कम हुआ और उन्हें स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुआ।
साध्वी ने यह भी बताया कि नवपद आराधना आत्मा को निर्मल, शांत और पवित्र बनाती है। इससे मन में श्रद्धा, करुणा और संयम बढ़ता है और साधक का चित्त स्थिर होकर आत्मकल्याण की ओर अग्रसर होता है।
संघ के चेयरमैन मीठालाल मकाणा ने कार्यक्रम का स्वागत किया। अध्यक्ष नेमीचंद भंसाली ने आभार व्यक्त किया और मंत्री सज्जन बोहरा ने संचालन किया।