Mahakumbh 2025: नागा साधुओं के रोने की अद्भुद कहानी महाकुंभ से जुड़ी हुई है। यह कहानी भगवान शिव के प्रति नागाओं के समर्पण को भी दर्शाती है।
Mahakumbh 2025: नागा साधु कठोर तपस्या और अपने प्रण के लिए जाने जाते हैं। भगवान शिव को वह अपना आदर्श मानते हैं। इनका पूरा जीवन पहाड़ों और जंगलों में भगवान शिव की तपस्या करते हुए व्यतीत होता है। खासकर इनके दर्शन कुंभ या महांकुभ के दौरान होते हैं। अन्यथा इनके दर्शन करना बहुत दुर्लभ होता है। क्योंकि इनका जीवन सांसारिक मोहमाया विरक्त होता है। यही वजह है कि नागा बाबाओं का जीवन रहस्यमयी होता है।
माना जाता है कि नागा साधुओं को संसार की सभी सुख-सुविधाओं को त्याग कर अपना जीवन जीते हैं। उनका पूरा जीवन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसलिए नागा साधु महादेव को भी बहुत प्रिय हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि जब भगवान शंकर माता पार्वती का विवाह करके लौट रहे थे तो नागा साधु रास्ते में खड़े होकर क्यों रोने लगे थे? क्या थी इसकी वजह? आइए जानते हैं नागाओं के रोने की रोचक कहानी।
धार्मिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शंकर माता पार्वती से विवाह रचाने के लिए गए थे, तो उनकी बारात में समस्त ब्रह्माण्ड के चर-अचर जीव, दैत्य, दानव, देवता, राक्षस, गंधर्व, किन्नर, नर आदि सभी गए थे। लेकिन नागा साधु भगवान शिव की तपस्या में इतने लीन थे कि उनको भगवान शिव के विवाह का पता ही नहीं चला था। जब भगवान शंकर माता पार्वती से विवाह रचा कर कैलाश पर्वत लेकर जा रहे थे। तभी नागाओं इस बात की खबर लगी, तो वह रास्ते में खड़े हो कर विवाह में न जाने पर दुख जताने लगे।
जब महादेव ने नागा साधुओं से उनके दुखी होने की वजह पूछी तो उन्होंने भगवान को बताया कि वह शिव बारात में तपस्या के कारण शामिल नहीं हो पाए हैं। नागा साधुओं की इस बात को सुनकर महादेव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वचन दिया कि बहुत जल्दी सभी नागा साधुओं को शाही बारात में शामिल होने का मौका मिलेगा। और इस बारात में स्वयं भगवान शंकर भी शामिल होंगे।
धार्मिक मान्यता है कि यही वजह है कि महाकुंभ के दौरान सभी नागा साधु भव्य शोभा यात्रा निकालते हैं। जो आज भी भगवान शिव की बारात का प्रतीक माना जाता है। इस बारात में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत सम्मलित होते हैं। यह शोभा यात्रा भव्य और विशाल होती है। जिसे देखने के लिए देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस शिव बारात में शिवगण पूरी भक्ति और उत्साह के साथ पैदल चलते हैं तो कुछ हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होते हैं।