Neem Karoli Baba Mantras: 20वीं सदी के चमत्कारिक बाबा, बाबा नीम करोली के देश दुनिया में लाखों श्रद्धालु हैं। बाबा ने भक्तों को परंपरागत भक्ति मार्ग की जगह आम लोगों को समझ में आने वाला रास्ता सुझाया है। बाबा नीब करौरी के 5 मंत्र ही भक्त अपना लें तो ईश्वर से कनेक्शन जुड़ जाए।
Mantras of Baba Neeb Karori: हिमालय क्षेत्र के प्रसिद्ध संत बाबा नीम करोली को चमत्कारिक बाबा माना जाता है, उनके भक्त महाराज जी के नाम से जानते हैं। बाबा नीम करोली के चमत्क सन 1973 में बाबा नीम करोली ने देह त्याग दिया, लेकिन नैनीताल के कैंची धाम, वृंदावन के आश्रमा समेत देश दुनिया के तमाम मंदिरों में बाबा की आध्यात्मिक शक्ति से भक्तों को मार्गदर्शन और सुरक्षा मिलती रहती है।
लेकिन बाबा नीम करोली के मंत्र परंपरागत पूजा पद्धति से बिल्कुल अलग और स्वतः मानव जीवन में समाहित है, बस उन्हीं का अभ्यास करना है। आज भी भक्त शांति की तलाश में बाबा के आश्रम आते हैं। आइये जानते हैं बाबा नीम करौली के 5 मंत्र कौन हैं
नीम करोली बाबा की शिक्षाएं बेहद सरल और सार्वभौमिक थीं और भक्ति के पारंपरिक मार्ग तपस्या आदि से अलग थीं, बशर्ते इसमें एकाग्रता, मन की निर्मलता और ईश्वर के प्रति मन का सहज झुकाव बहुत जरूरी था। ये रास्ता भक्ति और हृदय के जुड़ाव पर आधारित था। ये 5 मंत्र सहज ही भक्तों का ईश्वर से जुड़ाव स्थापित कर देते हैं। आइये जानते हैं बाबा नीम करौली के ये 5 मंत्र कौन से हैं ..
महाराज जी अपने संपर्क में आने वाले सभी भक्त से एक समान प्रेम करते थे, साथ ही उन लोगों से भी जो उनसे कभी मिले नहीं थे, लेकिन किसी न किसी कारण से आध्यात्मिक रूप से जुड़ गए थे।
आज के जमाने में सबसे प्यार करना और सच बोलना आसान नहीं है। एक बार एक भक्त रोने लगीं, उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। इस पर बाबा ने उसका सिर थपकाया और दूध मंगाकर पीने को दिया, इस बीच भक्त का ध्यान उसकी ओर गया तो वो भी रो रहे थे।
इस बीच उन्होंने कहा क्या तुम्हें मुझपर विश्वास है और प्रेम करती हो तो भक्त ने कहा हां। फिर बाबा ने कहा मैंने कहा था कि सबसे प्रेम करो तो भक्त ने कहा आपने ये भी कहा था कि सच बोलो और सच ये है कि मैं सबसे प्रेम नहीं करती। फिर उन्होंने सबसे प्यार करने और सच बोलने की सीख दी।
भक्तों की मानें तो नीम करोली बाबा के पास कई सिद्धियां थीं। इनकी सिद्धियों और चमत्कारों के किस्से कई भक्तों ने दूसरों को सुनाया है। किसी की मानें तो बाबा एक ही समय में एक से अधिक जगहों पर होते थे तो किसी का कहना है कि वे भक्तों को अंगुली के स्पर्श से समाधि (ईश्वर चेतना की स्थिति) में डाल देते थे।