बेंगलूरु. जिसकी दृष्टि और वाणी सच्ची होती है, उसी के हृदय में भगवान का निवास होता है। सत्य ही भगवान है, इसलिए कभी झूठ न बोलें। यदि चरित्र चला गया, तो सब कुछ चला जाता है। आचार और चरित्र से कभी न गिरें, क्योंकि चरित्रहीन व्यक्ति पर विश्वास नहीं किया जा सकता। यह बातें राजाजीनगर […]
बेंगलूरु. जिसकी दृष्टि और वाणी सच्ची होती है, उसी के हृदय में भगवान का निवास होता है। सत्य ही भगवान है, इसलिए कभी झूठ न बोलें। यदि चरित्र चला गया, तो सब कुछ चला जाता है। आचार और चरित्र से कभी न गिरें, क्योंकि चरित्रहीन व्यक्ति पर विश्वास नहीं किया जा सकता। यह बातें राजाजीनगर स्थानक में विराजित साध्वी निर्मला के सान्निध्य में साध्वी नंदिनी ने कही। उन्होंने मेरी भावना प्रवचन श्रृंखला के अंतर्गत तृतीय पद पर विचार रखते हुए कहा कि मेरी भावना का तीसरा पद हमारे जीवन के भावों को उन्नत बनाने का एक अनुपम अवसर प्रदान करता है। इस अनमोल अवसर को व्यर्थ न जाने देकर हमें इसे सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए।साध्वी ने कहा कि असत्य का आचरण चाहे कितना भी हो, वह कभी विजयी नहीं होता। उसकी हमेशा पराजय होती है। सदैव सत्य की ही विजय होती है। जो सत्य का आचरण करता है, उसके पास संतोष का धन आता है और जिसके पास यह धन होता है, उसके लिए दूसरों का धन पत्थर के समान होता है। जो सत्य के साथ रहेगा, उसे इस लोक में भी आनंद मिलेगा और परलोक में भी। नीता संतोष पुनमिया ने 13 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। साध्वी ऋषिता ने स्तवन की प्रस्तुति दी और साध्वी उपासना ने रानी सोहन चारित्र श्रृंखला को आगे बढाया। अध्यक्ष प्रकाशचंद चाणोदिया ने आभार व्यक्त किया और संचालन संघ मंत्री नेमीचंद दलाल ने किया।