Pradosh Vrat Katha : हिंदू धर्म में कार्तिक मास में आने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। यहां पर आप प्रदोष व्रत कथा के बारे में जानिए।
Pradosh Vrat Katha : प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का एक विशेष व्रत है जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति और सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की कथा।
धार्मिक कथाओं के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के दिन शाम के समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर अपनी पत्नी पार्वती के साथ नृत्य करते हैं। इसलिए यह समय भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह व्रत जीवन की सभी कष्टों को दूर कर, शांति, धन वैभव और आरोग्य प्रदान करता है। इस व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रदोष व्रत रखते हैं। उनके जीवन में आर्थिक परेशानियां और शारीरिक बीमारियां भी दूर होती है और जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। वहीं इस व्रत को वैवाहिक जीवन और संतान को सुख प्राप्ति के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
प्रदोष व्रत की पूजा के बाद ही फलाहार करें। यदि संभव हो तो अगले दिन सुबह दान-पुण्य करें। प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक सशक्त माध्यम है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है। बल्कि व्यक्ति के जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि से भी भर देता है। यदि आप भी जीवन की कठिनाइयों से मुक्त होना चाहते हैं तो इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ अवश्य करें।
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