Sudarshan Chakra: सुदर्शन चक्र का वर्णन भगवान विष्णु के प्रतीक और समय चक्र के रूप में माना जाता है। सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अमोघ शस्त्र है। यह एक बार छोड़ने पर शत्रु का वध करके ही वापिस लौटता है।
Sudarsan Chakra: भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्रधारी के नाम से भी जाना जाता है। इनका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इनकी उंगली पर सुदर्शन नामक चक्र घूमता रहता है। इस चक्र के विषय में कहा जाता है कि यह अमोघ है और इसका प्रहार जिस पर भी होता उसका अंत ही जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जब श्री कृष्ण रुप में अवतार लिया था तब भी उनके पास यह चक्र था। आइए जानते है भगवान विष्णु जी ने इस चक्र से सबसे पहले किसका बध किया था…
धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने शिव जी से कहा प्रभु यह अमोघ है इसे मैं आप पर परखना चाहता हूं। इसके बाद महादेव ने कहा अगर आप यह चाहते हैं तो प्रहार करके देख लीजिए। सुदर्शन चक्र के प्रहार से भगवान शिव के तीन खंड हो गए। इसके बाद भगवान विष्णु को अपने किए पर प्रयश्चित होने लगा और शिव की आराधना करने लगे। इसके बाद भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि सुदर्शन चक्र के प्रहार से मेरा प्राकृत विकार ही कटा है। मैं और मेरा स्वभाव क्षत नहीं हुआ है यह तो अच्छेद्य और अदाह्य है।
इसके बाद भगवान शिव ने विष्णु से कहा कि आप निराश मत होइए। मेरे शरीर के जो तीन खंड हुए हैं अब वह हिरण्याक्ष, सुवर्णाक्ष और विरूपाक्ष महादेव के नाम से जाने जाएंगे। जिसके बाद से भगवान शिव इन तीन रुपों में भी पूजा की जाती है। इसके बाद भगवान विष्णु ने श्रीदामा से युद्घ किया और उसका वध कर दिया। जिसके बाद से सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु के साथ सदैव रहने लगा।
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