धर्म-कर्म

Vishnuji Aankh Ki Katha: विष्णु जी को क्यों निकालनी पड़ी अपनी आंख, जानिए पूरी कहानी

Vishnuji Aankh Ki Katha: धार्मिक कथाओं के अनुसार शिव को असुर और अधर्मियों का वध करने के लिए जाना जाता है। लेकिन एक बार भगवान विष्णु को असुरों का वध करने के लिए एक दिव्य अस्त्र की जरूरत पड़ी, तो उन्होंने शिव की तपस्या शुरू की थी। जिसमें विष्णु जी ने कमल के पुष्प की जगह अपनी आंख भगवान शिव को अर्पित कर दी थी।

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Nov 13, 2024
यहां जानिए पालनहार को कमल नयन क्यों कहते है?

Vishnuji Aankh Ki Katha: धार्मिक कथाओं में तीन देवताओं का जिक्र मिलता है, ब्रह्मा, विष्णु और महेश। इनको त्रिदेव भी कहा जाता है। इन तीनों देवताओं को अनेक नामों से जाना जाता है। वहीं विष्णु भगवान को कमल नयन भी कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु का नाम कमल नयन क्यों पड़ा ? इसके बारे में धार्मिक कथाओं में वर्णन किया गया है। आइए जानते है भगवान विष्णु के इस नाम के पीछे की रोचक और हैरान करने वाली कहानी को..

विष्णुजी ने शिवजी को दान किया नेत्र (Vishnuji Ne Shivji Ko Daan Kiya Netra)

धार्मिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि धरती पर असुरों का अत्याचार इतना बढ़ गया कि देवताओं में भय पैदा हो गया। राक्षसों के अत्याचार से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से इसके निदान की प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान विष्णु ने शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या शुरू की। उन्होंने मंत्रोच्चारण के साथ शिवलिंग पर कमल का पुष्प चढ़ाना शुरू कर दिया। भगवान विष्णु शिव का नाम लेते और नाम साथ कमल एक फूल चढ़ाते। कहते हैं कि भगवान विष्णु ने शिव को एक हजार कमल पुष्प चढ़ाने का संकल्प किया था। लेकिन जब शिव जी ने विष्णु भगवान की परीक्षा लेनी चाही तो वह विष्णु जी के समक्ष पहुंचे और उन्होंने एक पुष्प चुरा लिया। विष्णु भगवान अपने तपस्या में लीन थे और उनको इस बात की कोई भनक नहीं लगी। लेकिन जब विष्णु भगवान ने शिवजी का आखिरी नाम जपा तो उनके पास कोई भगवान शिव को चढ़ाने के लिए फूल नहीं था। अगर विष्णु जी फूल नहीं चढ़ाते तो उनकी तपस्या भंग हो जाती। इसलिए भगवान विष्णु न किसी बात का संकोच किए बिना ही अपनी आंख निकाल कर शिवजी को अर्पित कर दी।

शिव ने दिया वरदान (Shiv Ne Diya Vardan)

यही कारण है कि भगवान विष्णु का नाम कमल नयन पड़ा। कहते हैं कि शिव ने ऐसा भगवान विष्णु की परीक्षा लेने के लिए किया। तपस्या से खुश होकर महादेव ने भगवान विष्णु को तीनों लोगों के पालन की जिम्मेदारी सौंपी और सुदर्शन चक्र प्रदान किया। जिसके बाद विष्णुजी ने सुदर्शन चक्र से असुरों का संहार कर देवताओं को भय से मुक्त किया।

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Updated on:
14 Nov 2024 07:49 pm
Published on:
13 Nov 2024 05:21 pm
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