जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों से किसी बड़ी अनियमितता का संकेत नहीं मिलता, इसलिए परीक्षा प्रक्रिया को रोकने या रद्द करने का कोई औचित्य नहीं बनता।
BPSC: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर उठे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। परीक्षा के पेपर लीक होने के आरोपों पर आधारित याचिकाओं को अदालत ने खारिज कर दिया और मुख्य परीक्षा को समय पर कराने की अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका लगाई गयी थी कि BPSC प्रीलिम्स परीक्षा में धांधली हुई थी, इसलिए परीक्षा को रद्द कर दिया जाए। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों से किसी बड़ी अनियमितता का संकेत नहीं मिलता, इसलिए परीक्षा प्रक्रिया को रोकने या रद्द करने का कोई औचित्य नहीं बनता। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि आजकल देश में लगभग हर परीक्षा को चुनौती दी जा रही है, जिससे परीक्षाओं का निष्पक्ष संचालन प्रभावित हो रहा है।
पीठ ने आगे कहा, “ऐसा लगता है जैसे हर कोई एक-दूसरे की असुरक्षा का लाभ उठा रहा है। यह प्रवृत्ति रोकनी होगी।” अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल आरोपों के आधार पर पूरी प्रक्रिया को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता, खासकर जब प्रणालीगत विफलता का कोई ठोस प्रमाण सामने न हो। जस्टिस मनमोहन ने याचिकाकर्ताओं के दावों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि यह मान भी लिया जाए कि कथित पेपर लीक हुआ था, तब भी वह उस समय हुआ जब अधिकांश परीक्षार्थी केंद्रों पर पहुंच चुके थे, जिससे यह घटना किसी व्यापक साजिश की ओर इशारा नहीं करती।
इससे पूर्व पटना हाईकोर्ट ने भी इसी मुद्दे पर दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां उन्हें फिर से निराशा हाथ लगी। अब बीपीएससी 70वीं संयुक्त मुख्य परीक्षा का आयोजन पूर्व निर्धारित तारीखों— 25, 26, 28, 29 और 30 अप्रैल 2025 को ही किया जाएगा।