अपात्रों की सिक्योरिटी में लगे पुलिस कर्मी अनैतिक गतिविधियों में भी हो जाते हैं शामिल
जिले में अपात्र लोगों की दी पुलिस सुरक्षा का मामला फिर से हाईकोर्ट में पहुंचा है। कोर्ट के सामने अपात्रों को मिली सिक्योरिटी की हकीकत सामने लाई गई। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने निजी लोगों को दी जाने वाली सिक्योरिटी की समीक्षा का आदेश दिया था, लेकिन सिक्योरिटी की समीक्षा नहीं की गई। अपात्र लोग पुलिस सुरक्षा में घूम रहे हैं। इनके साथ तैनात पुलिस कर्मी अनैतिक कार्य में भी लिप्त हो जाते हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्कों को सुनने के बाद कहा कि यह जनहित का मुद्दा है। शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
नवल किशोर शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डीपी सिंह ने तर्क दिया कि पुलिस कर्मियों की कमी है, लेकिन पुलिस विभाग ने निजी लोगों की सुरक्षा में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी तैनात किए हैं। इनकी सुरक्षा में लाखों रुपए खर्च भी हो रहे हैं। जबकि ये सुरक्षा की पात्रता भी नहीं रखते हैं। याचिकाकर्ता ने विनय सिंह को मिली सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस सुरक्षा में रहते हुए पांच आपराधिक प्रकरण दर्ज हुए। इसमें वसूली के मामले हैं। सुरक्षा का दुरुपयोग भी किया जा रहा है।
हाईकोर्ट ने सुरक्षा को लेकर की थी तल्ख टिप्पणी, किसी तुक्ष व्यक्ति को न मिले सुरक्षा
हाईकोर्ट ने दिलीप शर्मा व संजय शर्मा को मिली पुलिस सुरक्षा की याचिका में तल्ख टिप्पणी की थी। कोर्ट ने दोनों भाईयों से सुरक्षा पर हुए खर्च की वसूली का भी आदेश दिया था। सुरक्षा के लिए एक नियम बनना चाहिए। इसके भी आदेश दिए थे। हालांकि यह याचिका हाईकोर्ट में लंबित चल रही है।
कोर्ट की सलाह- यदि किसी परिवार में तीन हथियार हैं, व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के चलते जान को खतरा है तो निजी सुरक्षाकर्मी तैनात करें। जो पुलिस कर्मियों से ज्यादा सजग रहेंगे।
सीख- पुलिस का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना होता है। यदि पर्सनल प्रोटेक्शन देने जैसे कार्यों में पुलिस को लगाया जाएगा तब बाकी चीजें पीछे रहे जाएंगी। यदि पुलिसकर्मियों को गल्र्स कॉलेज के आसपास लगाया जाता है तो लड़कियों के साथ छेडख़ानी जैसी घटनाएं रुक जाएंगी।
नाराजगी: कोर्ट ने कहा था कि किसी तुच्छ व्यक्ति को सुरक्षा व्यवस्था नहीं मिलना चाहिए। सुरक्षा व्यवस्था का दुरुपयोग किया जाता है।
नियम नहीं बन जाता, तब तक इस तरह से देनी है सुरक्षा
-हाईकोर्ट ने निजी व्यक्तियों को दी जाने वाली सुरक्षा के संबंध में आदेश जारी किया था। जब तक सुरक्षा देने का कोर्ई विशेष नियम नहीं बन जाता है, तब तक कोर्ट के आदेश के अनुसार सुरक्षा दी जानी है।
- पुलिस अधीक्षक 2 दिन के लिए सुरक्षा व्यवस्था दे सकते हैं।
- पुलिस महानिरीक्षक 7 दिन तक सुरक्षा मुहैया करा सकते हैं।
- वास्तविक व्यक्ति के खतरा देखते हुए 7 दिन से अधिक की सुरक्षा प्रमुख सचिव, गृह विभाग, प्रमुख सचिव विधि व डीजीपी की कमेटी फैसला लेगी।
- हाईकोर्ट के आदेश के बाद निजी लोगों को मिली सुरक्षा की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत ली थी। 19 लोगों की सुरक्षा में 33 पुलिस कर्मी तैनात थे। इनमें से अधिकतर अपात्र थे।