हाईकोर्ट ने औद्योगिक भूखंड का आवंटन निरस्त करना वैध ठहराया, 1981 में 99 साल की लीज पर दी थी 15 हजार स्क्वायर फीट जमीन
हाईकोर्ट की युगल पीठ ने औद्योगिक भूखंड के आवंटन और लीज निरस्तीकरण के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि वर्षों तक उद्योग स्थापित न करना गंभीर लापरवाही है। इतने लंबे समय तक उद्योग शुरू न करना उद्यमिता की भावना के विपरीत है और इससे अन्य इच्छुक एवं सक्रिय उद्यमियों को अवसर से वंचित किया जाता है। अदालत ने राज्य शासन की कार्रवाई को न तो मनमाना माना और न ही नियमों के विपरीत। इन सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने रिट अपील को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया और औद्योगिक भूखंड का पुनः आवंटन वैध ठहराया।
क्या है मामला
मामला बाराघाटा औद्योगिक क्षेत्र, ग्वालियर स्थित 15 हजार वर्गफुट भूमि से जुड़ा है। यह भूखंड वर्ष 1981 में सीताराम साहनी को फोटो फ्रेम एवं उससे संबंधित उद्योग स्थापित करने के लिए 99 वर्षों की लीज पर आवंटित किया गया था। लीज की शर्तों में स्पष्ट प्रावधान था कि तय समय-सीमा के भीतर निर्माण कर उत्पादन शुरू किया जाएगा। इसके बावजूद वर्षों तक भूखंड खाली पड़ा रहा और न तो निर्माण हुआ और न ही कोई औद्योगिक गतिविधि प्रारंभ की गई।
रिकॉर्ड के अनुसार, शर्तों के उल्लंघन पर वर्ष 1990 में लीज निरस्त कर दी गई थी, जिसे चुनौती देते हुए संबंधित पक्ष ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वर्ष 1995 में हाईकोर्ट ने निरस्तीकरण का आदेश निरस्त करते हुए आवंटी को उद्योग शुरू करने का एक और अवसर दिया। हालांकि इसके बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। वर्ष 1996 में मूल आवंटी का निधन हो गया, लेकिन उनके उत्तराधिकारियों ने भी वर्षों तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
राज्य शासन का तर्क कि उद्योग नहीं खोला
राज्य शासन ने दलील दी कि भूखंड लगभग 26-27 वर्षों तक निष्क्रिय रहा, जिससे औद्योगिक विकास बाधित हुआ। अंततः वर्ष 2004 में लीज निरस्तीकरण का आदेश जारी किया गया और 2008 में निरीक्षण के बाद भूखंड का कब्जा लेकर उसे मेसर्स ग्वालियर स्टोन वर्क्स को आवंटित कर दिया गया। वर्तमान में वहां औद्योगिक गतिविधि संचालित हो रही है।
अपीलकर्ताओं चंद्रकुमार साहनी ने तर्क दिया कि लीज विधिवत निरस्त नहीं की गई और उन्हें नोटिस की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इस पर अदालत ने कहा कि जब आवंटन निरस्त कर दिया जाता है तो लीज स्वतः प्रभावहीन हो जाती है। औद्योगिक भूखंड भविष्य के लाभ के लिए खाली रखने या व्यापारिक अटकलों के उद्देश्य से नहीं दिए जाते, बल्कि उद्योग स्थापित कर रोजगार सृजन के लिए आवंटित होते हैं।