Kerala News : केरल में प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (PAM) यानी दिमाग खाने वाला अमीबा तेजी से फैल रहा है। जानिए इसके लक्षण, कारण, मौत का खतरा और बचाव के उपाय।
Kerala News : केरल में इन दिनों एक बेहद दुर्लभ और जानलेवा बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इसका नाम है प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (PAM) है। इसे आम भाषा में इसे दिमाग खाने वाला अमीबा कहा जाता है। इस बीमारी की वजह एक छोटे से परजीवी नेगलेरिया फाउलेरी को माना जाता है। हाल के महीनों में इस बीमारी से 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 70 से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
यह परजीवी गर्म मीठे पानी जैसे तालाब, झील, नदी या खराब रखरखाव वाले स्विमिंग पूल में पाया जाता है। अगर ऐसा पानी पी लिया जाए तो यह नुकसान नहीं करता, लेकिन जब पानी नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है, तो यह सीधा दिमाग तक पहुंच जाता है। वहां यह दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है और मरीज की जान को खतरा हो जाता है।
वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के मुताबिक यह बीमारी बेहद घातक है। दुनिया भर में इससे संक्रमित होने वाले 95% लोग बच नहीं पाते। हालांकि, केरल के डॉक्टरों ने बेहतर इलाज और जागरूकता से इस मौत की दर को करीब 30% तक कम करने में सफलता पाई है।
इस बीमरी के शुरुआत में इसके लक्षण आम बुखार या वायरल जैसे लगते हैं। इसमें सिरदर्द, बुखार और मतली, गर्दन में अकड़न होती है। लेकिन हालत जल्दी बिगड़ती है और मरीज कोबाद में दौरे (fits), बेहोशी और कोमा हो जाता है। आमतौर पर मरीज 1–2 हफ्तों के भीतर ही मौत के मुंह में चला जाता है।
इस बीमारी का इलाज करना मुश्किल है, इसलिए सावधानी ही इसका सबसे अच्छा उपाय है। गर्मियों में तालाब, झील या गंदे स्विमिंग पूल में न तैरें। अगर तैरना जरूरी हो तो नाक पर क्लिप जरूर लगाएं। नाक धोने के लिए सिर्फ उबला या फिल्टर किया हुआ पानी इस्तेमाल करें। बच्चों को पाइप (hose) या स्प्रिंकलर से खेलने से बचाएं। घर के छोटे पूल को रोज साफ करें और बड़े स्विमिंग पूल में क्लोरीन का सही स्तर बनाए रखें।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ती गर्मी इस बीमारी को और खतरनाक बना सकती है। अमीबा गर्म पानी में तेजी से पनपता है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, यह ज्यादा सक्रिय होता है। गर्मियों में लोग तालाब और नदियों की ओर तैरने के लिए जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाता है।