Premature death : असामयिक मृत्यु दर को 50 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य अब वास्तविकता में बदल सकता है। लांसेट कमीशन द्वारा प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, बचपन के टीकाकरण और सस्ती रोकथाम व उपचार सेवाओं के साथ नई स्वास्थ्य तकनीकों का उपयोग करके इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल किया जा सकता है।
Premature death : असामयिक मृत्यु दर को 50 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य अब वास्तविकता में बदल सकता है। लांसेट कमीशन द्वारा प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, बचपन के टीकाकरण और सस्ती रोकथाम व उपचार सेवाओं के साथ नई स्वास्थ्य तकनीकों का उपयोग करके इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल किया जा सकता है।
अध्ययन ने हर देश के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार 2050 तक हर देश अपने नागरिकों की असामयिक मृत्यु की संभावना को आधा कर सकता है।
"50 बाय 50" का लक्ष्य है कि 2050 में जन्म लेने वाले व्यक्ति की 70 साल की उम्र से पहले मरने की संभावना केवल 15 प्रतिशत हो, जो कि 2019 में जन्मे व्यक्ति के लिए 31 प्रतिशत थी।
1970 के बाद से लगभग 37 देशों ने अपने नागरिकों की 70 साल की उम्र से पहले मरने की संभावना को आधा कर दिया है। यह स्वास्थ्य सेवाओं में प्रगति का महत्वपूर्ण संकेतक है।
गैविन यामी, जो कि ड्यूक यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर पॉलिसी इम्पैक्ट इन ग्लोबल हेल्थ (CPIGH) के निदेशक हैं, कहते हैं, “आज असामयिक मृत्यु दर को कम करने के लिए पहले से बेहतर परिस्थितियाँ हैं। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि आर्थिक उन्नति और गरीबी उन्मूलन के लिए भी महत्वपूर्ण कदम है।”
रिपोर्ट ने उन 15 स्वास्थ्य समस्याओं की ओर इशारा किया है जो अधिकतर असामयिक मौतों का कारण बनती हैं, जिनमें टीबी, श्वसन संक्रमण, मधुमेह, हृदय रोग, और आत्महत्या जैसी समस्याएं शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, यदि इन प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं पर सस्ती चिकित्सा सेवाएं, टीकाकरण और अन्य आवश्यक उपाय किए जाते हैं, तो असामयिक मृत्यु दर को तेजी से कम किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने तंबाकू उत्पादों, अस्वास्थ्यकर भोजन और पेय पदार्थों, और जीवाश्म ईंधन पर कर बढ़ाने का सुझाव दिया है। इससे न केवल इन उत्पादों से जुड़ी बीमारियों और मौतों में कमी आएगी, बल्कि इस कर से एकत्रित राजस्व का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं में भी किया जा सकेगा।
अध्ययन ने इस बात पर जोर दिया कि नई स्वास्थ्य तकनीकों को बढ़ावा देने और आम लोगों तक सस्ती सेवाएं पहुँचाने के लिए वित्तीय निवेश की आवश्यकता है।
अगर सभी देश इस दिशा में ठोस कदम उठाते हैं, तो यह लक्ष्य हासिल करना न केवल संभव होगा बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि, और आर्थिक प्रगति के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।