Low Blood Pressure: लो ब्लड प्रेशर को हल्के में न लें! जानिए कैसे कम बीपी से किडनी, दिल, दिमाग और लिवर पर असर पड़ता है और समय पर इलाज क्यों जरूरी है।
Low Blood Pressure : लो ब्लड प्रेशर यानी हाइपोटेंशन को अक्सर लोग गंभीरता से नहीं लेते, क्योंकि कुछ लोगों को कम ब्लड प्रेशर में भी कोई दिक्कत महसूस नहीं होती। लेकिन कई बार यही स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। जब शरीर में ब्लड प्रेशर बहुत नीचे चला जाता है, तो हमारे अंगों (ऑर्गन) तक ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्व ठीक से नहीं पहुंच पाते। इससे धीरे-धीरे सेल्स को नुकसान होता है और अगर समय रहते इलाज न हो तो ऑर्गन फेल तक हो सकते हैं।
ब्लड प्रेशर वह दबाव है जो रक्त, हमारी धमनियों की दीवारों पर डालता है। सामान्य ब्लड प्रेशर लगभग 120/80 mmHg होता है। लेकिन शरीर के अंगों को ठीक से काम करने के लिए मीन आर्टेरियल प्रेशर (MAP) जरूरी होता है, जो औसतन 60–65 mmHg से कम नहीं होना चाहिए। अगर ब्लड प्रेशर इससे नीचे चला जाए, तो दिल, किडनी, दिमाग जैसे अंगों को पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिलती। यह स्थिति हाइपोपरफ्यूजन कहलाती है, जो ऑर्गन डैमेज की शुरुआत होती है।
जब ब्लड प्रेशर गिरता है, तो शरीर तुरंत कुछ कदम उठाता है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है ताकि खून का फ्लो बढ़ सके।
शरीर बाहरी हिस्सों में ब्लड फ्लो कम करके जरूरी अंगों (दिल, दिमाग, किडनी) तक ज्यादा रक्त भेजने की कोशिश करता है।लेकिन अगर ब्लड प्रेशर बहुत देर तक या बहुत ज्यादा गिरा रहे, तो यह सिस्टम फेल हो जाता है और अंगों में ऑक्सीजन की भारी कमी होने लगती है।
ब्लड प्रेशर कम होने पर सबसे पहले असर किडनी पर पड़ता है। क्योंकि ये लगातार खून को फिल्टर करने का काम करती हैं। इससे एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) हो सकती है। ब्लड फ्लो कम होने से लिवर में शॉक लिवर या इस्केमिक हेपेटाइटिस जैसी स्थिति बन सकती है। ऑक्सीजन की कमी से चक्कर, बेहोशी या कोमा तक हो सकता है। दिल तक ऑक्सीजन न पहुंचने से एंजाइना, अरिद्मिया या हार्ट अटैक हो सकता है।
अगर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 mmHg से नीचे चला जाए या MAP 60 mmHg से कम हो, तो यह गंभीर स्थिति मानी जाती है। कम ब्लड प्रेशर कुछ मिनटों के लिए हो तो शरीर संभाल सकता है, लेकिन अगर यह कई घंटों तक बना रहे तो ऑर्गन फेलियर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा बुजुर्ग या कमजोर शरीर वाले लोग आते हैं। जिनको पहले से हार्ट, किडनी या लिवर की बीमारी हो। साथ ही अचानक ब्लीडिंग या सेप्सिस (संक्रमण) वाले मरीज को भी ये समस्या जल्दी होती है। लंबे समय तक लो बीपी रहने वाले लोगों को भी ये समस्या हो सकती है।