6 नए मेडिकल कॉलेजों में 233 पदों पर भर्ती होनी है। इसपर आरोप है कि एनएमसी के नियमों का पालन नहीं हो रहा है।
भोपाल. नर्सिंग घोटाले के बाद अब मेडिकल कॉलेजों में भर्ती में लापरवाही का मामला सामने आया है। यही कारण है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। प्रदेश के आधा दर्जन नए मेडिकल कॉलेजों में 21 विभागों के 233 पदों पर सीधी भर्ती की जा रही है। इसको लेकर नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) की वेबसाइट पर साफ किया गया है कि नॉन क्लीनिकल विभागों में कुल पदों के सिर्फ 15 फीसदी पर ही नॉन मेडिको की भर्ती होनी चाहिए। इस नियम को ताक पर रखते हुए अधिकारियों ने बायोकेमेस्ट्री विभाग के लिए 50 फीसदी पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिए। इसके बाद बचने के लिए सिर्फ 26 फीसदी पर भर्ती कर ली गई। जब मामला खुला तो बायोकेमेस्ट्री विभाग के परिणामों पर ही रोक लगा दी गई।
श्योपुर, सिवनी, नीमच, सतना, सिंगरौली और मंदसौर मेडिकल कॉलेज में सीधी भर्ती की जा रही है। नियम के तहत इनमें सिर्फ दो पदों पर नॉन मेडिको कैंडीडेट से भरा जाना था। लेकिन अधिकारियों ने विज्ञापन 12 पदों के लिए जारी किया। इसके बाद 6 पदों पर भर्ती भी कर ली गई। जिसपर रोक लगा दी गई है। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा ही इस मामले की जांच की गई। जिसमें पाया गया कि इन नियुक्तियों के लिए एक मेडिकल ऑफिसर को इंचार्ज बनाया गया है।
बायोकेमेस्ट्री विभाग के परिणामों जारी नहीं किए गए हैं। इसका कारण कुछ तकनीकी समस्या रही है।