Disease detection from tongue images : क्या आपने सोचा है कि कोई आपको देखे और बता दे कि आप बीमार हैं। ऐसा आज से सदियों पहले होता था, जब बड़े- बड़े वैद्य इंसान की नब्ज, मुंह या जीभ देखकर बता देते थे कि उस व्यक्ति को क्या बीमारी है।
Disease detection from tongue images : कल्पना कीजिए, आप अपनी जीभ दिखाते हैं, और आपकी सेहत के बारे में सभी जरूरी जानकारियाँ एक मशीन के माध्यम से मिल जाती हैं। यह एक सपना जैसा लगता है, लेकिन इराक की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत बना दिया है। इस नई तकनीक ने पुरानी चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ते हुए एक नई क्रांति की शुरुआत की है।
इस नई तकनीक की जड़ें प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धतियों में हैं। प्राचीन काल में डॉक्टर जीभ के रंग, बनावट और नमी के आधार पर बीमारियों का अनुमान लगाते थे। लेकिन आज, यह ज्ञान आधुनिक तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के साथ मिलकर एक नया रूप ले चुका है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया और इराक की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक एआई मॉडल विकसित किया है जो जीभ (Tongue) की तस्वीरों के माध्यम से बीमारियों का सटीक पता लगा सकता है।
इस एआई मॉडल को 5,260 विभिन्न जीभ की तस्वीरों पर परीक्षण किया गया। इन तस्वीरों को विभिन्न बीमारियों के साथ टैग किया गया था ताकि एआई मॉडल को प्रशिक्षित किया जा सके। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह मॉडल 98 प्रतिशत की सटीकता के साथ बीमारियों का पता लगाने में सक्षम है। इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह रियल टाइम में तेजी से और सटीक परिणाम देती है।
शोध में यह भी पता चला कि विभिन्न बीमारियों की पहचान जीभ (Tongue) के रंग और बनावट से की जा सकती है। उदाहरण के लिए, मधुमेह से पीड़ित लोगों की जीभ अक्सर पीली होती है, कैंसर रोगियों की जीभ बैंगनी और मोटी परत वाली होती है, जबकि स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्तियों की जीभ का रंग लाल होता है और आकार अजीब होता है। इस तरह के लक्षणों को ध्यान में रखकर एआई मॉडल को प्रशिक्षित किया गया है, जिससे यह जल्दी और सटीकता से बीमारियों का अनुमान लगा सकता है।
यह तकनीक केवल उच्च सटीकता प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे साधारण स्मार्टफोन कैमरों के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि यह तकनीक दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपयोगी हो सकती है, जहां पारंपरिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, यह तकनीक महामारी जैसी स्थितियों में भी प्रभावी साबित हो सकती है, जहां समय पर निदान और उपचार महत्वपूर्ण होता है।
इस एआई तकनीक के आगमन से चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई दिशा का संकेत मिलता है। यह केवल बीमारियों का पता लगाने के लिए नहीं, बल्कि समय पर इलाज और मरीजों की देखभाल को भी बेहतर बनाने की क्षमता रखता है। यदि यह तकनीक पूरी तरह से सफल होती है, तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का आधार बन सकती है, जिससे बीमारियों का पता लगाना और इलाज करना पहले से कहीं अधिक आसान और सुलभ हो जाएगा।
अब देखना यह है कि आने वाले समय में यह तकनीक कैसे लोगों के जीवन में बदलाव लाएगी और चिकित्सा के क्षेत्र में इसे किस प्रकार अपनाया जाएगा।