Avoid Curd and Greens in Sawan : उत्तर भारत में इस साल सावन के महीने की शुरुआत 22 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना हिंदू-रीति रिवाजों के हिसाब से काफी महत्व रखता है।
Avoid Curd and Greens in Sawan : उत्तर भारत में सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो चुका है। हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, यह महीना विशेष महत्व रखता है, जिसमें लोग अपने जीवन में कई बदलाव करते हैं। सावन का महीना (Month of Sawan) शिव भक्तों के लिए खास होता है, और इस दौरान भक्त भक्ति के साथ-साथ अन्य कई बातों का ध्यान रखते हैं।
सावन के महीने (Month of Sawan) में सात्विक भोजन का विशेष महत्व होता है। यह न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि आध्यात्मिकता की ओर हमारा ध्यान भी बढ़ाता है। दही और साग का सेवन धार्मिक (Avoid Curd and Greens in Sawan) दृष्टिकोण से निषेध माना गया है क्योंकि इन्हें सात्विक भोजन में नहीं गिना जाता।
सावन के महीने (Month of Sawan) में भगवान शिव पर दूध और दही चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो चीजें भगवान को अर्पित की जाती हैं, उन्हें भोजन में शामिल करना अनुचित है। कई पुजारी भी इस मान्यता का समर्थन करते हैं।
सावन के महीने (Month of Sawan) में बरसात का मौसम शुरू हो जाता है, जिससे पर्यावरण में जीव-जंतु, कीटाणु और विषाणु पनपते हैं। पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि उनमें कीटाणु पनप सकते हैं।
दही (Curd) बैक्टीरिया से तैयार होता है। सावन के महीने में इसे खाने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य के अनुसार, इस मौसम में नमी के कारण कान और गले में संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए गले में खराश और कफ की समस्या से बचने के लिए दही का सेवन (Consumption of curd) नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार, तामसिक भोजन इन दिनों में सुस्ती पैदा करता है, जिससे आध्यात्मिक अभ्यास बाधित होता है। सावन के महीने में तामसिक भोजन से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
सावन का महीना धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखता है। इस दौरान सही खान-पान और जीवनशैली अपनाने से न केवल स्वास्थ्य लाभ होता है, बल्कि आध्यात्मिकता की ओर भी हमारा झुकाव बढ़ता है। धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सावन के महीने में दही और साग का सेवन करने से बचना चाहिए।