हुबली

मौजूदा दौर में संत राजेश्वर के विचार प्रासंगिक

वर्तमान समय में जब चारों ओर आपाधापी का माहौल हैं तब संत राजेश्वर भगवान के बताए आदर्श प्रासंगिक बन जाते हैं। संत राजेश्वर भगवान ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने एवं नशामुक्त समाज के लिए महत्ती पहल की। उनका मानना था कि समाज में शिक्षा एवं संस्कारों पर खास जोर देना चाहिए। समाज नशे से दूर रहें। बाल विवाह और मृत्यु भोज के वे घोर विरोधी रहे।

2 min read
संत राजेश्वर भगवान

राजस्थान के जोधपुर जिले के शिकारपुरा में जन्मे संत राजाराम महाराज जिन्हें संत राजेश्वर भगवान के नाम से जाना जाता है, के बताए उपदेश एवं मूल्यों को अपनाकर हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। संत राजेश्वर भगवान का जीवन समाज सुधार और आध्यात्मिक जागरूकता का प्रतीक है। बाल्यकाल में ही माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने कठिन परिस्थितियों का सामना किया लेकिन ईश्वर भक्ति और समाज सेवा की ओर अग्रसर रहे। जाति, धर्म और रंग भेदभाव को मिटाने पर विशेष जोर दिया। सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिए किए गए उनके प्रयास जगजाहिर है। उन्होंने नशीली वस्तुओं के सेवन से दूर रहने और शोषण मुक्त समाज की स्थापना का संदेश दिया।
उनका मानना था कि शिक्षा समाज में परिवर्तन का प्रमुख साधन है, इसलिए उन्होंने बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। शिक्षित और संस्कारित महिला शक्ति के लिए अपना सात्विक संदेश दिया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान का एक उदाहरण उनके शिष्य संत देवाराम महाराज का उपचार और शिक्षण है। संत देवाराम महाराज बचपन में पोलियो से ग्रस्त थे। संत राजाराम महाराज ने उनका उपचार किया और स्वस्थ होने के बाद उन्हें शिक्षा प्रदान की, जिससे वे आगे चलकर समाज में महत्वपूर्ण योगदान दे सके। संत राजाराम महाराज ने शिकारपुरा में महादेव का मंदिर बनवाया और बाद में अपने निवास के लिए एक बगीची का निर्माण किया, जो आज संत राजाराम आश्रम के नाम से जाना जाता है। इस आश्रम में धर्मशाला, यज्ञशाला और गौशाला जैसी सुविधाएं हैं, जो समाज सेवा और आध्यात्मिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है। संत राजाराम महाराज ने जीवित समाधि ली, लेकिन उनके उपदेश और शिक्षाएं आज भी समाज को मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। उनके प्रधान शिष्य देवाराम महाराज ने उनकी गद्दी संभाली और उनके उपदेशों का प्रचार-प्रसार जारी रखा।
सनातन धर्म के पथ प्रवर्तक संत राजाराम महाराज ने भौतिक जगत के सभी कार्यों में सहभागीदारी निभा कर आधुनिक और आध्यात्मिक रहने का सात्विक संदेश दिया। संपूर्ण पृथ्वीवासियों को आपस में मिलजुल कर, मीठी व मृदु वाणी युक्त भाषा व्यवहार के साथ भाई-भाई के बीच प्रेम व सद्भाव के साथ रहने की बात बताई। आपसी सहयोगात्मक व अपनत्व के भाव के साथ मानवीय मूल्यों युक्त जीवन जीने का सात्विक संदेश दिया। संत राजेश्वर भगवान ने समाज को संदेश दिया कि अपने जीवन को सरल व सात्विक बनाते हुए नशे रूपी राक्षस से जितना दूर रहा जाए उतना ही घर, परिवार और समाज का कल्याण होगा। संत राजाराम महाराज का जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद समाज सेवा, शिक्षा और आध्यात्मिकता के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है और हमें प्रेरित करता है कि हम समाज की भलाई के लिए निरंतर प्रयासरत रहें।

Updated on:
04 Apr 2025 12:46 pm
Published on:
04 Apr 2025 12:21 pm
Also Read
View All

अगली खबर