पत्रकार गंगा पाठक, उनकी पत्नी ममता सहित 10 आरोपियों पर धोखाधड़ी, साजिश रचने सहित एससीएसटी एक्ट की धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है।
journalist Ganga Pathak : छल-कपट के जरिए दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर आदिवासियों की साढ़े चार एकड़ जमीन हड़पने वाले पत्रकार गंगा पाठक, उनकी पत्नी ममता सहित 10 आरोपियों पर धोखाधड़ी, साजिश रचने सहित एससीएसटी एक्ट की धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। नामजद किए गए आरोपियों में पाठक दंपत्ति के साथ जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े वेंडर, गवाह व दलाल शामिल हैं। हालांकि अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
एसडीएम पहले शून्य घोषित कर चुके थे रजिस्ट्री
आदिवासियों को ओबीसी केटेगरी का बताया, हड़प ली थी साढ़े चार एकड़ से अधिक जमीन
तिलवारा थाने में साजिश, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा सहित एससीएसटी एक्ट में मामला दर्ज
मामला तिलवारा थाना क्षेत्र का है। यहां के ऐंठाखेड़ा के ग्राम रामपुर नकटिया में तीन आदिवासी परिवारों के जाति प्रमाण पत्र बदलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कराए गए थे। आदिवासियों की जमीन बिना प्रशासनिक अनुमति के नहीं बेची जा सकती है। इसलिए पत्रकारिता के दम पर गंगा पाठक ने इन सभी के ओबीसी के जाति प्रमाण पत्र बनवाए और फिर उनकी साढ़े चार एकड़ जमीन अपने नाम रजिस्टर्ड करा ली। बाद में यही जमीन उनकी पत्नी ममता पाठक के नाम कर दी गई। इस षड्यंत्र में एक पूरा गिरोह काम कर रहा था। 20 दिन बाद तिलवारा थाने में इन सभी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई। पुलिस मामले की जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी।
बुधवार को नायब तहसीलदार पूर्णिमा खंडायत की शिकायत पर तिलवारा पुलिस ने फर्जीवाड़े के आरोपी गंगा पाठक, पत्नी ममता पाठक निवासी नरसिंह वार्ड गोरखपुर, ओमप्रकाश त्रिपाठी निवासी पोलीपाथर, संजीव श्रीवास्तव सैनिक सोसायटी, भारत मेहरा खहरिया जिला कटनी, दीपक मिश्रा खहरिया जबलपुर, नारायण प्रसाद श्रीवास, रामकुमार मांझी, दीपक कुमार साहू व एक अन्य निवासी जबलपुर के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, साजिश रचने सहित अजा-अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है।
ग्राम पंचायत ऐंठाखेड़ा के अंतर्गत रामपुर नकटिया में शकुंतला गोंड 0.8000 हेक्टेयर भूमि के रिकॉर्ड में हेरफेर कर कृषि भूमि कर दिया गया। इस प्रकरण में भी शकुंतला गोंड की जगह राजपूत लिखकर रजिस्ट्री करवा दी गई। इसमें में संतनगर गौरीघाट निवासी ओम प्रकाश त्रिपाठी और पांच अन्य लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार करा कर बैनामा अपने पक्ष में कर लिया। वहीं तीसरे प्रकरण में वीरन सिंह गोंड की पारिवारिक भूमि को ओमप्रकाश त्रिपाठी और अन्य पांच लोगों ने अपने नाम पंजीयन करा लिया। वीरन ने न्यायालय को बताया कि उसके साथ छल कपट किया गया है।
जबलपुर तहसील के रामपुर नकटिया पंचायत ऐंठाखेड़ा निवासी वीरन सिंह गोड़ के नाम पर साढ़े चार एकड़ से अधिक जमीन राजस्व रेकॉर्ड में दर्ज थी। जिस पर परिवार काबिज था। नवबर 2022 में गंगा पाठक वगैरह ने जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करा ली। आदिवासी की जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती, यह आरोपी जानते थे, इसलिए किसी दूसरे व्यक्ति को वीरन सिंह राजपूत बताकर रजिस्ट्री कराई। इसके लिए फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार किए गए और वीरन सिंह गोंड़ के पिता के नाम के आगे भी राजपूत दर्ज करा लिया था। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तत्कालीन उप पंजीयक जितेंद्र राय ने रजिस्ट्री कर दी। वीरन की शिकायत पर जांच हुई तो फर्जीवाड़ा उजागर हुआ और एसडीएम जबलपुर अभिषेक सिंह ठाकुर ने रजिस्ट्री शून्य घोषित कर दी।
जबलपुर में जमीन फर्जीवाड़े में बड़ा गठजोड़ काम कर रहा है। जो आदिवासियों की जमीन को हड़पने के खेल लगातार कर रहा है। बताया गया है कि बरगी सहित कई अन्य क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीनों को इसी तरह से फर्जीवाड़ा कर कब्जा किया गया है। आदिवासियों को साफ्ट टारगेट कर जमीन हड़पी गई है। बताया गया है कि पत्रकार गंगा पाठक के और भी कारनामे हैं, जिनकी परतें खुलने वाली हैं। प्रशासन दूसरे भू माफिया की फाइल भी खोलने की तैयारी कर रहा है, जिन्होंने फर्जी तरीके से जमीनें कब्जाई हैं। एक और पत्रकार का ऐसा ही मामला सामने आया था जो बाद में मैनेज हो गया था। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार ऐसी सभी फाइलों खुलेगी।