
corrupt journalist
corrupt journalist : आदिवासियों की जमीन में फर्जीवाड़ा कर रजिस्ट्री कराकर हड़पने का मामला सामने आया है। जांच में इसकी पुष्टि होते ही एसडीएम जबलपुर ने पत्रकार गंगा पाठक और साथियों द्वारा फर्जीवाड़े से हड़पी गई जमीन की रजिस्ट्री शून्य करने के आदेश पारित किया है। जमीन पूर्ववत आदिवासी परिवार के नाम पर दर्ज होगी। इसमें जबलपुर के रजिस्ट्रार कार्यालय की भूमिका भी संदिग्ध थी। इसी प्रकार दो अन्य जमीनों में आदिवासियों की भूमि का फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आने के बाद इसमें भी रजिस्ट्री शून्य करने के आदेश दिए गए हैं। मामले में उप पंजीयक सहित पटवारी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई।
ओम प्रकाश त्रिपाठी ने इसी तरह का फर्जीवाड़ा वीरन सिंह व अन्य के साथ किया। इसकी शिकायत वीरन सिंह ने एसडीएम न्यायालय में की। इसमें बताया गया कि ग्राम रामपुर नकटिया में 0.04800 हेक्टेयर भूमि है। इसे ओमप्रकाश त्रिपाठी और अन्य पांच लोगों को बेच दिया गया। कृषि भूमि का विक्रय धोखाधड़ी कर जो बैनामा रजिस्टर कराया गया वह फर्जी है। इसमें दो लोगों के नाम हैं, उनकी मृत्यु पूर्व में हो चुकी है। एसडीएम ने विक्रय को निरस्त करते हुए बैनामा को शून्य घोषित कर दिया।
फर्जी दस्तावेज हाथ लगने पर वीरन सिंह गोंड ने रजिस्ट्री शून्य किए जाने के लिए एसडीएम जबलपुर की कोर्ट में परिवाद दायर किया। जिसमें गंगा पाठक, उसके कर्मचारी रमेश प्रसाद पाठक, शंकर विश्वकर्मा व नारायण प्रसाद श्रीवास्तव के साथ ही उप पंजीयक जबलपुर जितेंद्र राय को पक्षकार बनाया। लेकिन मुकदमा लगते ही यह सभी गायब हो गए। जबलपुर शहर में होने और नोटिस मिलने के बाद भी उपस्थित नहीं हुए। लिहाजा सुनवाई करते हुए तहसीलदार की रिपोर्ट जिसमें फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई थी के आधार पर एसडीएम अभिषेक सिंह ठाकुर ने रजिस्ट्री शून्य कर राजस्व रेकॉर्ड में वीरन सिंह गोंड के नाम दर्ज किए जाने का एकतरफा आदेश जारी किया।
मामला जबलपुर तहसील के रामपुर नकटिया पंचायत ऐंठाखेड़ा का है। यहां के निवासी वीरन सिंह गोड़ के नाम पर साढ़े चार एकड़ से अधिक जमीन राजस्व रेकॉर्ड में दर्ज थी। जिस पर परिवार काबिज था। नवम्बर 2022 में गंगा पाठक वगैरह ने जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करा ली। आदिवासी की जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती, यह प्रतिवादी जानते थे, इसलिए किसी दूसरे व्यक्ति को वीरन सिंह राजपूत बताकर रजिस्ट्री कराई। इसके लिए फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार किए गए और वीरन सिंह गोंड़ के पिता के नाम के आगे भी राजपूत दर्ज करा लिया था। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तत्कालीन उप पंजीयक जितेंद्र राय ने रजिस्ट्री कर दी।
रामपुर नकटिया में पैतृक रूप से बसे आदिवासी परिवारों को जब बेदखल कर जमीन पर कब्जा लेने की तैयारी शुरू हुई तब उन्हें इस फर्जीवाड़ा के बारे में पता चला। इस सम्बंध में वीरन ने पटवारी से संपर्क कर पूरी जानकारी ली और कलेक्टर जबलपुर से शिकायत की। जिसमें बताया कि उसने जमीन का ना तो सौदा किया और न ही किसी को बेचा गया है। इसके बाद भी रजिस्ट्री करा ली गई। सभी दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार किए गए थे। कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए तो सामने आया कि आदिवासी की जमीन खरीद-फरोख्त के लिए किसी तरह आवेदन नहीं आया और न ही अनुमति जारी की गई, बल्कि असली भूमि स्वामी के नाम के आगे राजपूत जोडकऱ फर्जीवाड़ा किया गया।
ऐंठाखेड़ा के ग्राम रामपुर नकटिया में ही दो अन्य प्रकरणों में जबलपुर एसडीएम न्यायालय ने आदिवासियों की जमीन के विक्रय पत्र को शून्य घोषित कर दिया है। पीड़ितों ने न्यायालय में आवेदन देकर उनकी जमीन धोखे से बेचने का आरोप लगाया था। इन प्रकरणों में तहसीलदार से प्रतिवेदन मांगा गया, तो उसमें वास्तविकता सामने आई। दोनों प्रकरण में संतनगर निवासी ओम प्रकाश त्रिपाठी सहित पांच अन्य लोगों का नाम सामने आया है।
पहले प्रकरण में आवेदक शंकुतला ने शिकायत की थी कि रामपुर नकटिया ग्राम पंचायत ऐंठाखेड़ा में 0.8000 हेक्टेयर भूमि रिकॉर्ड में उनके नाम पर है। ओमप्रकाश व पांच अन्य ने धोखाधड़ी करते हुए कृषि भूमि का विक्रय 28 अप्रेल 2023 को कर दिया गया। उनके नाम के आगे राजपूत लिखकर रजिस्ट्री की गई। एसडीएम ने जांच के आधार पर बैनामा पंजीयन को शून्य घोषित करते हुए पूर्व भूमि स्वामी का नाम दर्ज करने के आदेश दिए।
Updated on:
16 Feb 2025 12:25 pm
Published on:
16 Feb 2025 11:54 am
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