गुलाब जामुन : रोज 350 किलो गुलाब जामुन खा जाते हैं इस शहर के लोग - देखें वीडियो
Gulab Jamun: गुलाब जामुन का नाम सुनते ही मुंह में मिठास घुल जाती है। विशुद्ध भारतीय मिठाइयों में शुमार यह व्यंजन जबलपुर की मिठाई की दुकानों पर आसानी से मिल जाता है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बिना गुलाब जामुन के कोई भी उत्सव अधूरा सा लगता है। जानकारों के अनुसार जिले में सबसे ज्यादा खोवा की खपत इसे बनाने के लिए ही होती है। जबलपुर में कुछ मिठाई की दुकानें केवल गुलाब जामुन की खूबियों के लिए देशभर में अपनी पहचान रखती हैं।
जिले की कटंगी तहसील स्थित बस स्टैंड में साल 1947 में झुर्रे जैन ने गुलाब जामुन बेचने की छोटी सी दुकान खोली थी। जिसे झुर्रे के रसगुल्ले नाम दिया। आज उनकी चौथी पीढ़ी इस काम को आगे बढ़ा रही है। रसगुल्ले के नाम से बेचे जाने वाले गुलाब जामुन इस क्षेत्र की पहचान बन चुके हैं। यहां आने वाले अधिकांश यात्री गुलाब जामुन लेकर जाते हैं। परंपरानुसार गुलाब जामुन आज भी मिट्टी की मटकी में ही दिए जाते हैं। यहां रोजाना 80 से 100 किलो गुलाब जामुन बेचे जाते हैं।
जबलपुर के कोतवाली बाजार स्थित राजा रसगुल्ला कई दशकों से स्वाद के शौकीनों में प्रसिद्ध है। यहां के गुलाब जामुन का स्वाद दशकों पहले जैसा है। इसी तरह कुछ अन्य दुकानों में भी गुलब जामुन की डिमांड पूरे साल बनी रहती है।
जानकारों के अनुसार खोवा मंडी का सबसे ज्यादा खोवा गुलाब जामुन बनाने में ही उपयोग होता है। मिष्ठान विक्रेताओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूरे शहर की मिठाई दुकानों से सामान्य दिनों में भी 250 किलो से ज्यादा गुलाब जामुन प्रतिदिन बेचा जाता है। त्योहारों के दौरान यह 350 किलो तक पहुंच जाता है।