यात्रियों पर डेढ़ लाख रुपए का अतिरिक्त खर्च आने का दावा किया जा रहा है।
hajj yatra 2025 : प्रदेश से हज यात्रा का पहला जत्था मंगलवार को रवाना होगा। लेकिन सबसे ज्यादा चिंता रुकने के इंतजाम को लेकर है। विवादों के चलते इस साल भी स्टेट हज कमेटी के जरिए हज पर जाने वालों को मदीना में रुबात भवन (ठहरने की जगह) की सुविधा नहीं मिलेगी। यात्रियों पर डेढ़ लाख रुपए का अतिरिक्त खर्च आने का दावा किया जा रहा है।
कानूनी दांव-पेच में फंसी रुबात 2019 से ही बंद है। इसके लिए जानकार मप्र वक्फ बोर्ड को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उधर, बोर्ड का कहना है कि उसने इंतजाम किए हैं। सुविधा बहाल करने की कोशिश की जा रही है। मप्र वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सनवर पटेल का कहना है, हाजियों को मदीना रूबात में ठहरने और खाने की व्यवस्था करने के लिए शाही औकाफ को भी पत्र लिखकर एक बार फिर कहा है।
हाजियों ने बताया कि स्टेट हज कमेटी मक्का रुबात के लिए कुर्रा करती है। क्योंकि यहां सिर्फ 210 लोगों के ठहरने की ही जगह है। लेकिन मदीना में चार मंजिल की चार इमारते हैं। इसलिए सभी को जगह मिल जाती है। इससे खर्च में डेढ़ लाख रुपए की बचत एक हाजी की हो जाती थी।
हज कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि रूबात में ठहरने और खाने की व्यवस्था शाही औकाफ द्वारा की जाती है। हज कमेटी से सिर्फ हाजियों की लिस्ट मांगी जाती है। रूबात का हज कमेटी से कोई लेना-देना नही रहता। हज कर चुके लोगों ने बताया कि पिछले साल मई में मप्र वक्फ बोर्ड की सख्ती से शाही औकाफ की मुतवल्ली सबा सुल्तान ने कमेटी को भंग कर दूसरी कमेटी गठित कर दी थी। औकाफ- ए-शाही के प्रबंधक मंडल में बदलाव किए गए थे। तीन सदस्यीय नई कमेटी में सिकंदर हफीज खान, शादाब रहमान और अब्दुल मुक्तादिर खान को शामिल किया गया था। यहां पर एक मैनेजर नियुक्त कर दिया गया है, जो शाही औकाफ का काम देख रहा है। इसके बाद भी ताला नहीं खुला है।
● आजादी से पहले रुबात नवाबों ने रुबात बनवाया था। इसमें मप्र के हज यात्रियों के नि:शुल्क रुकने की व्यवस्था है।
● रुबात शाही औकाफ भोपाल के नियंत्रण में है। उत्तरदायित्व तो स्टेट वक्फ़ बोर्ड का है।