जबलपुर

कल से लग रहा जेठ का महीना, पड़ेंगे शनि जयंती, वट सावित्री, गंगा दशहरा पर्व

कल से लग रहा जेठ का महीना, पड़ेंगे शनि जयंती, वट सावित्री, गंगा दशहरा पर्व

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May 23, 2024
Jeth starts from tomorrow

जबलपुर . ज्येष्ठ का महीना भगवान सूर्य, शनि देव, जल के देवता वरुण देव व हनुमानजी को समर्पित है। मान्यता है इस महीने में किया गया जल दान कई जन्मों तक शुभ फल प्रदान करता है। इस साल ज्येष्ठ महीना 24 मई को शुरू होगा। यह 23 जून तक रहेगा। इस माह में शनि जयंती, वट सावित्री से लेकर बड़ा मंगल और गंगा दशहरा जैसे व्रत-त्योहार पड़ेंगे।

ज्येष्ठ माह कल से शुरू, जलसेवा और जलपात्र का दान फलदायी

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गंगा दशहरा

16 जून को गंगा दशहरा मनाया जाएगा। गंगा दशहरा को गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है गंगा का अवतरण। गंगा दशहरा के दिन गंगा, नर्मदा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना और दान-पुण्य करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी गंगा स्वयं नर्मदाजी से मिलने आती हैं। 24 मई को नारद जयंती है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारदजी का अवतरण हुआ था। इसी महीने में नौतपा भी लगेगा। सनातन मान्यतानुसार, वैशाख के महीने में जलपात्र, घड़ा, छतरी व पंखे का दान किया जाएगा।

ज्येष्ठ माह में क्या करें, क्या नहीं

सनातन मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ माह में दान करना पुण्य कार्य माना जाता है। गर्मी में राहगीरों को पानी पिलाने से देवी-देवता और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पशु-पक्षियों के लिए पानी रखा जाता है। आचार्य रोहित दुबे ने बताया कि ज्येष्ठ माह में तांबा और तिल का दान करना चाहिए। इस माह में इन चीजों का दान करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है। ज्येष्ठ माह में सत्तू का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। ज्येष्ठ महीने में दिन में नहीं सोना चाहिए, अन्यथा व्यक्ति को रोग का सामना करना पड़ सकता है। तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पेट संबंधी परेशानियां होने लगती हैं। ज्येष्ठ माह में पानी का सदुपयोग करना चाहिए।

शनि जयंती पर छह को होंगे अनुष्ठान

छह जून को शनि जयंती मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन भगवान शनि देव का जन्म हुआ था। इस दिन शहर में जगह-जगह आयोजन होंगे।

वट सावित्री व्रत रखकर पूजन

वट सावित्री का व्रत 6 जून को रखा जाएगा। कहते हैं कि यम देव ने माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को वट वृक्ष के नीचे ही लौटाया था। वट सावित्री का व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है।

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