राजस्थान की 23 हजार खानें अगले 2 दिन में बंद हो सकती है। जिससे लगभग 15 लाख लोगों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है।
राजस्थान में पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने से प्रदेश की 23 हजार खानों के 2 दिन बाद बंद होने और लगभग 15 लाख लोगों के रोजगार पर आए खतरे को लेकर अब विधि मंत्री जोगाराम ने कहा है कि सरकार एक भी व्यक्ति पर रोजगार का संकट नहीं आने देगी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा स्वयं इसको लेकर गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट में भी एसएलपी दायर करनी पड़ी तो राजस्थान का पक्ष प्रभावी तरीके से रखेंगे। अच्छे वकीलों की सेवाएं लेंगे।
विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि समय पर कार्यवाही नहीं करने से डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (दीया) से स्वीकृति प्राप्त करीब 23 हजार खानों के समक्ष संकट उत्पन्न हुआ है। हमारी सरकार ने आते ही स्टेट एनवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सीया) में आवेदन करवाने के बाद परिवेश पोर्टल पर 11553 फार्म-2 अपलोड करवाए। प्रकरणों की अधिकता, लीज व क्वारी लाइसेंसधारकों के पुनर्मूल्यांकन कार्य को देखते हुए पहले से स्थापित दो स्टेट एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (सेक) के अतिरक्त 11 जून 2024 को अधिसूचित कर अलग से जोधपुर और उदयपुर में सेक स्थापित की गई। इससे कार्य में गति आई।
जोगाराम ने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के लोगों का रोजगार छीनने के बयान पर कहा कि वे रोजगार की चिंता नहीं करें। जिला स्तर से स्वीकृतियां प्राप्त खानों को राज्य स्तर से स्वीकृतियां प्राप्त करने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश हमारी सरकार के आने के बाद के नहीं है। ये आदेश दिसम्बर-2022 में ही जारी हो गए थे। लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने एनजीटी के आदेश आने के बाद भी न तो 23 हजार खानों की चिंता की और ना ही इनसे रोजगार पा रहे 15 लाख श्रमिकों के भविष्य की चिंता की।