मकर संक्रांति से पहले राजधानी में पतंगों का रंग चढ़ने लगा है
जयपुर. मकर संक्रांति से पहले राजधानी में पतंगों का रंग चढ़ने लगा है। शीतकालीन छुट्टियां शुरू होते ही पतंग बाजारों में भीड़ बढ़ गई है और अगले करीब 20 दिन बाजार पूरी तरह पतंगों के नाम रहने वाले हैं। इस बार बाजार में जयपुर में बनी पतंगों की मांग सबसे अधिक देखी जा रही है। व्यापारियों के अनुसार कुल बिक्री में करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी जयपुर की पतंगों की है, जो बरेली, कानपुर और रामपुर की पतंगों के मुकाबले सस्ती भी हैं।
शहर में हांडीपुरा और किशनपोल बाजार पतंगों के प्रमुख केंद्र बने हुए हैं, जहां सुबह से देर रात तक ग्राहकों की आवाजाही बनी हुई है। चांदपोल बाजार में भी पतंग दुकानों पर रौनक दिखने लगी है। हांडीपुरा में जयपुर के साथ बरेली, कानपुर, मुरादाबाद, बीकानेर और सीकर के व्यापारी भी दुकानें लगाए हुए हैं। किशनपोल बाजार के पतंग विक्रेता आशीष गुप्ता के अनुसार, एक रुपए से लेकर 20 रुपए तक की पतंगें बाजार में उपलब्ध हैं और आने वाले दिनों में बिक्री और बढ़ने की संभावना है। कागज से बनी पतंगें सबसे अधिक पसंद की जा रही हैं।
इस बार अधिक बारिश होने से पतंग निर्माण में उपयोग होने वाला बांस पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाया, जिससे दामों पर असर पड़ा है। व्यापारियों के अनुसार पतंगों की कीमतें पिछले साल की तुलना में करीब 25 फीसदी तक बढ़ी हैं। बीकानेर से हांडीपुरा में दुकान लगाने आए सन्नू हुसैन ने बताया कि जो साधारण कागज की पतंग पिछले वर्ष 2 से 3 रुपए में मिलती थी, वह इस बार 5 रुपए में बिक रही है। इसके बावजूद बाजार में ग्राहकी पर खास असर नजर नहीं आ रहा है।
बाजार में नेताओं और फिल्मी सितारों की तस्वीरों वाली थीम पतंगें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। बच्चों और युवाओं में कार्टून, फिल्म पोस्टर और चर्चित चेहरों वाली पतंगों की खास मांग देखी जा रही है।
इस बार जयपुर में बनी पतंगों की मांग बरेली और रामपुर की पतंगों से अधिक है। कुल बिक्री में 40 फीसदी जयपुर की और शेष 60 फीसदी अन्य शहरों की पतंगें शामिल हैं, जिनकी तुलना में जयपुर की पतंगें अधिक सस्ती हैं।
— संजय गोयल, अध्यक्ष, जयपुर पतंग उद्योग