Scrub Typhus: डेंगू के साथ इस बार स्क्रब टाइफस ने भी चिंता बड़ा रखी है। रोजाना गंभीर हालात में मरीज लाए जा रहे हैं।
Scrub Typhus: जयपुर। एक ओर जहां मानसून का दौर जारी है। दूसरी ओर मौसमी बीमारियां तेवर दिखा रही है। डेंगू के साथ इस बार स्क्रब टाइफस ने भी चिंता बड़ा रखी है। रोजाना गंभीर हालात में मरीज लाए जा रहे हैं। उनमें हर उम्र के लोग शामिल है।
जनवरी से अब तक इसके करीब 1400 मामले सामने आ चुके हैं। इन दिनों एसएमएस अस्पताल में रोज करीब 150 मरीज विभिन्न जिलों से पहुंच हो है। दौसा, अलवर, करौली, भरतपुर से सर्वाधिक मरीज एसएमएस पहुंच रहे हैं। उनमें भी 25 से 30 गंभीर हालत में भर्ती किए गए है।
चिंता की बात यह है कि कुछ मामलों में मरीज ब्रेन हेमरेज और कोमा में भी पहुंच रहे हैं। इनमें। 6 मरीज स्क्रब टाइफस से दम तोड़ चुके है। कुछ में ब्रेन तक इसका असर देखा गया है। कई मरीज आठ से दस दिन तक कोमा में रहे है तो कुछ में ऑर्गन फेलियर की स्थिति देखी गई।
डेंगू, वायरल फीवर और पीलिया के केस भी रोजाना पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में इस बार ज्यादा केस हैं। डेंगू के अब तक 2800 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
दिवाली के बाद कमजोर पड़ेगा असर चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रब टाइफस का जोर नवंबर माह तक रहेगा। इस बार जून-जुलाई से ही इसके केस आना शुरू हो गए थे लेकिन वर्तमान में यह पीक पर है। दिवाली के बाद इसके तेवर कमजोर पड़ने की संभावना है।
स्क्रब टाइफस से ग्रस्त मरीजों में तेज बुखार, कंपकपी, मांसपेशियों में दर्द, तेज सिर दर्द, त्वचा पर पपड़ीदार दाने, सूखी खांसी सीने में दर्द सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी समेत कई लक्षण देखे जा रहे हैं। इसी बचाव के लिए शरीर को पूरा ढकने वाले कपड़े पहने। बगीचे या झाड़ियों के आसपास नहीं जाएं।
चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रब टाइफस का जोर नवंबर माह तक रहेगा। इस बार जून-जुलाई से ही इसके केस आना शुरू हो गए थे लेकिन वर्तमान में यह पीक पर है। दिवाली के बाद इसके तेवर कमजोर पड़ने की संभावना है।
मेडिसिन विभाग की ओपीडी में मरीजों की संख्या 1500-2000 से बढ़कर 3500-4000 तक पहुंच गई है। -डॉ. सी.एल. नवल, मेडिसिन रोग विशेषज्ञ, एसएमएस मेडिकल कॉलेज
स्क्रब टाइफस बच्चों के दिमाग पर असर कर रहा है। कई बच्चों में उथल निमोनिया, तेज बुखार, ब्रेन हेमरेज बेहोशी, कोमा जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। कुछ तो सात से बस दिन में ठीक हो रहे हैं। -डॉ. कैलाश मीणा, अधीक्षक, जेकलीन