जैन तीर्थ सम्मेद शिखर पर 16 नवंबर को अजमेर के श्रद्धालु आशीष सालगिया (50) की उनकी 15 वर्षीय बेटे के सामने ही हृदयाघात से हुई मौत ने पर्वतीय धामिक यात्रा के जोखिम की चिंता बढ़ा दी है।
जयपुर। धार्मिक व पर्वतीय यात्राओं के दौरान सडन कार्डियक अरेस्ट व हार्ट अटैक से होने वाली मौतें चिंता बढ़ा रही हैं। हाल ही में जैन तीर्थ सम्मेद शिखर पर ऐसा ही मामला सामने आया, जहां 16 नवंबर को अजमेर के श्रद्धालु आशीष सालगिया (50) की उनकी 15 वर्षीय बेटे के सामने ही हृदयाघात से मौत हो गई।
दरअसल यह घटना बताती है कि कठिन यात्राओं से पहले हेल्थ चेकअप कितना जरूरी है। लंबी चढ़ाई, ठंडा मौसम, ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन, लगातार पैदल चलना और अनियमित भोजन शरीर पर भारी दबाव डालते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ठंडे वातावरण में अचानक जाना हार्ट अटैक का बड़ा कारण बन सकता है।
कई लोग असहजता को ‘थकान’ समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकता है। चिंताजनक तथ्य यह है कि ऐसे यात्रियों में करीब 50 प्रतिशत लोग अपने बीपी, शुगर और फिटनेस स्तर से अनजान होते हैं। पहाड़ी क्षेत्र में हाइट पर ऑक्सीजन की कमी के कारण श्वसन संबंधी तकलीफें बढ़ने का खतरा भी हर समय मंडराता रहता है।
विभिन्न स्रोतों के मुताबिक देश में धार्मिक एवं अन्य यात्राओं के दौरान या उसके बाद हर साल 1000 से ज्यादा लोग हृदय व श्वास संबंधी कारणों से दम तोड़ते हैं। सम्मेद शिखर, अमरनाथ, केदारनाथ और वैष्णो देवी की यात्राएं सबसे कठिन मानी जाती हैं। राजस्थान में भी पर्वतीय यात्राओं में श्रद्धालुओं की मौत के मामले सामने आए हैं।
क्या सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर 24 घंटे कार्डियक केयर उपलब्ध है?
क्या बेसिक हेल्थ चेकअप को अनिवार्य किया जाना चाहिए?
क्या प्रशिक्षित स्टाफ व लाइफ सपोर्ट मौजूद है?
क्या इमरजेंसी कार्डियक सुविधा उपलब्ध है?
यात्रा से 7 दिन पहले हेल्थ चेकअप
45 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए अनिवार्य हृदय परीक्षण
बीपी-शुगर की दवाएं साथ रखें
खाली पेट चढ़ाई न करें, भरपूर पानी पीएं
धीरे-धीरे चलें, असहज हों तो रुक जाएं
पर्याप्त नींद लें
यात्रा से पहले ईसीजी, 2डी ईको, बीपी-शुगर मॉनिटरिंग, लिपिड प्रोफाइल, डॉक्टर की फिटनेस सलाह और पुरानी दवाओं की सूची साथ रखना जरूरी है। यात्रा के दौरान सीने में भारीपन, दर्द, पसीना, चक्कर, सांस फूलना, बेचैनी या कंधे-बांह में दर्द को ‘थकान’ न समझें। यह साइलेंट हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है। डॉ. जी.एल. शर्मा,हृदय रोग विशेषज्ञ, जयपुर