राजधानी जयपुर में पिंक टॉयलेट को लेकर शहरी सरकारें गंभीर नहीं हैं। यही वजह है कि धरातल पर काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। दोनों नगर निगम को चार-चार पिंक टॉयलेट्स बनाने थे, लेकिन मुख्यालय और जोन स्तर पर समन्वय न होने के कारण जगह ही तय नहीं हो पाई है। जैसे-तैसे हैरिटेज […]
राजधानी जयपुर में पिंक टॉयलेट को लेकर शहरी सरकारें गंभीर नहीं हैं। यही वजह है कि धरातल पर काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। दोनों नगर निगम को चार-चार पिंक टॉयलेट्स बनाने थे, लेकिन मुख्यालय और जोन स्तर पर समन्वय न होने के कारण जगह ही तय नहीं हो पाई है।
जैसे-तैसे हैरिटेज निगम ने शहर का पहला पिंक टॉयलेट तो तैयार कर दिया, लेकिन उद्घाटन के इंतजार में इसे चालू नहीं किया गया है। वहीं, हैरिटेज निगम की ओर से जवाहर नगर स्थित गोल मार्केट में एक और पिंक टॉयलेट का काम चल रहा है। अब तक 20 फीसदी काम हो चुका है। एक माह के भीतर इसे भी तैयार कर दिया जाएगा।
छह माह से टॉयलेट के लिए जगह नहीं मिली
ग्रेटर निगम छह माह से जमीन की तलाश कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि अब तक महिलाओं की सुविधाओं के लिए जगह नहीं मिल पाई। पहले झोटवाड़ा पुलिया और विद्याधर नगर में टॉयलेट के लिए जगह चिन्हित की। सूत्रों की मानें तो जोन कार्यालय से हरी झंडी नहीं मिली। अब मालवीय नगर के सत्कार शॉपिंग सेंटर, वैशाली नगर के नर्सरी सर्कल के पास दो पिंक टॉयलेट बनाने की कवायद फाइलों में चल रही है। अब तक मुख्यालय के उच्च अधिकारियों से स्वीकृति नहीं मिली है।
खास-खास
-21 लाख रुपए मिलते हैं एक पिंक टॉयलेट को बनाने के लिए।
-30 गुणा 20 वर्ग फीट जगह चाहिए इसे बनाने के लिए।
बने तो ये सुविधाएं मिलें
-इन टॉयलेट में सैनेटरी पैड नि:शुल्क मिलेंगे।
-अलग से स्तनपान क्षेत्र की भी व्यवस्था की गई है।
-डायपर बदलने की जगह और सैनेटरी पैड भस्मक की भी सुविधा मिलती है।
जहां भीड़, वहां बन ही नहीं रहे
परकोटा क्षेत्र के बाजारों में महिलाओं की सबसे अधिक आवाजाही होती है। इसके अलावा झोटवाड़ा, मानसरोवर, सांगानेर और विद्याधर नगर के बाजारों में महिलाएं बाजार में खरीदारी करने घर से निकलती हैं। इसके बाद भी वहां पिंक टॉयलेट की कोई सुविधा अब तक शहरी सरकारें विकसित नहीं कर पाई हैं।