First Transgender Lawyer Raveena Singh: रवीना सिंह, जिनका पहले नाम रविंद्र सिंह था, बीकानेर से एलएलबी करने के बाद 2 अगस्त 2025 को बार काउंसिल में पंजीकृत हुई थीं और अब वह इस समुदाय के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं।
राजस्थान रोडवेज की जयपुर-जोधपुर रूट पर बुधवार को उस समय एक बड़ा गतिरोध उत्पन्न हो गया, जब एक ट्रांसजेंडर वकील ने अपनी पहचान के अनुरूप टिकट न मिलने पर विरोध दर्ज कराया। वकील ने 'महिला' श्रेणी में जारी टिकट लेने से साफ इनकार कर दिया, जिसके बाद यह विवाद इतना बढ़ा कि बस को यात्रियों सहित दूदू पुलिस स्टेशन ले जाना पड़ा।
करीब आधे घंटे की लंबी बहस और पुलिस की मध्यस्थता के बाद मामला शांत हुआ, लेकिन इस घटना ने सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में थर्ड जेंडर श्रेणी के विकल्प न होने की गंभीर समस्या को उजागर कर दिया है।
यह घटना 10 दिसम्बर को हुई, जब पाली जिले के सोजत कस्बे की निवासी रवीना सिंह, जो राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर वकील हैं, जयपुर से जोधपुर की यात्रा कर रही थीं। जब बस कंडक्टर ने उन्हें 'फीमेल' (महिला) श्रेणी का टिकट दिया, तो रवीना सिंह ने तत्काल इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पहचान 'थर्ड जेंडर' की है और संविधान के समानता का अधिकार के तहत उन्हें उनकी वास्तविक पहचान के अनुरूप ही टिकट मिलना चाहिए। उनका तर्क था कि जब आधार कार्ड जैसे महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों में 'थर्ड जेंडर' का विकल्प उपलब्ध है, तो रोडवेज जैसी सार्वजनिक सेवा इस श्रेणी को क्यों नजरअंदाज कर रही है।
कंडक्टर ने वकील को बताया कि टिकट मशीन में 'अन्य' या 'थर्ड जेंडर' श्रेणी का विकल्प मौजूद ही नहीं है, केवल पुरुष और महिला के विकल्प ही उपलब्ध हैं। रवीना सिंह ने इस पर लिखित में कारण बताने या वैकल्पिक रूप से 'जीरो टिकट' (Zero Ticket) जारी करने की मांग की। मामला अनसुलझा रहने पर कंडक्टर ने यात्रियों समेत बस को दूदू पुलिस थाने ले जाने का निर्णय लिया। थाने में पुलिस अधिकारियों ने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर यात्रा जारी रखने का आग्रह किया। अंततः पुलिस की समझाइश पर, रवीना सिंह ने टिकट स्वीकार कर लिया और बस आगे रवाना हुई।
रोडवेज के अधिकारी ने बाद में स्पष्ट किया कि फिलहाल ट्रांसजेंडर कैटेगरी के लिए कोई अलग नियम लागू नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश मिलने पर ही टिकट सिस्टम में बदलाव किया जा सकता है। गौरतलब है कि भारतीय रेल में यह विकल्प पहले से ही यात्रियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। वकील रवीना सिंह ने कहा कि यह मुद्दा केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय के सम्मान और अधिकारों की बहाली से जुड़ा है।
रवीना सिंह, जिनका पहले नाम रविंद्र सिंह था, बीकानेर से एलएलबी करने के बाद 2 अगस्त 2025 को बार काउंसिल में पंजीकृत हुई थीं और अब वह इस समुदाय के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं।