गत दिनों कस्बे के जोधपुर-जैसलमेर बाईपास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 125 पर किए गए सडक़ के पुनर्निर्माण के दौरान अधूरे कार्य से परेशानी जस की तस बनी हुई है।
गत दिनों कस्बे के जोधपुर-जैसलमेर बाईपास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 125 पर किए गए सडक़ के पुनर्निर्माण के दौरान अधूरे कार्य से परेशानी जस की तस बनी हुई है। टूटी व क्षतिग्रस्त सडक़ यथावत है, जिसे ठीक करने को लेकर कोई कवायद नहीं की जा रही है। ऐसे में यहां किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि जोधपुर से पोकरण तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 125 है। कस्बे में बढ़ते यातायातभार को देखते हुए जोधपुर रोड से जैसलमेर रोड तक बाईपास सडक़ का निर्माण करवाया गया है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 125 का ही हिस्सा है। उक्त बाईपास सडक़ के लिए अलग से टोल नाका भी लगाया गया है। प्रतिदिन सैकड़ों वाहनों की आवाजाही के बावजूद सडक़ की सार-संभाल समय पर नहीं हो रही है। ऐसे में सडक़ क्षतिग्रस्त हालत में हैं। कई जगह सडक़ का लेवल सही नहीं होने से हिचकोले भी खाने पड़ रहे है। बावजूद इसके जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से गत दिनों बाईपास सडक़ के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया गया था। आरोप है कि आनन-फानन में कुछ ही दिनों में सडक़ बनाकर छोड़ दी गई गई। इसमें पुनर्निर्माण के नाम पर केवल औपचारिकता की गई। ऐसे में सडक़ से कुछ डामर उखाडकऱ वापिस डामर बिछाया गया। पुराने गड्ढ़ों व क्षतिग्रस्त सडक़ को यूं ही छोड़ दिया गया। ऐसे में औपचारिकता ने परेशानी को बढ़ा दिया है।
बाईपास सडक़ पर खींवज मंदिर के पीछे मोड़ में सडक़ क्षतिग्रस्त है और गड्ढ़े हो रखे है। जिन्हें पुनर्निर्माण के दौरान सही नहीं किया गया है। ऐसे में वाहन चालकों को मोड़ में टूटी सडक़ की जानकारी नहीं हो पाती है, जिससे यहां हर समय हादसे का भय बना रहता है। इसी प्रकार बाईपास मार्ग में कई जगहों पर सडक़ क्षतिग्रस्त हालत में हैं, जिसे भी ठीक नहीं किया गया है। उक्त कार्य गत 10-15 दिनों से बंद है।
कस्बे की बाईपास सडक़ के पटरियां भी नहीं बनाई गई है, जबकि पुनर्निर्माण के दौरान पटरियां भी बनानी थी। इसके अलावा सडक़ के किनारे भी क्षतिग्रस्त हालत में हैं। ऐसे में वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रात में पर्याप्त रोशनी के अभाव में किसी बड़े हादसे से भी इनकार नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके जिम्मेदारों की ओर से कोई कवायद नहीं की जा रही है।
बाईपास सडक़ के पुनर्निर्माण के दौरान टूटी सडक़ को ठीक नहीं किया गया है। रात में टूटी सडक़ की जानकारी नहीं हो पाती है। जिससे हादसा हो सकता है।