प्रदेश की प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले अध्यापक लेवल -प्रथम आज भी पदोन्नति के अधिकार से वंचित हैं।
प्रदेश की प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले अध्यापक लेवल -प्रथम आज भी पदोन्नति के अधिकार से वंचित हैं। राज्य के अधिकांश विभागों में अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन शिक्षा विभाग में प्राथमिक शिक्षकों के लिए यह व्यवस्था अब तक लागू नहीं हो सकी है। इसके चलते प्रदेश भर में अध्यापक लेवल प्रथम संवर्ग में असंतोष गहराता जा रहा है। अध्यापक लेवल प्रथम कक्षा 1 से 5 तक बालकों की बुनियादी शिक्षा, साक्षरता विकास, संस्कार निर्माण, नामांकन वृद्धि, पीएम-पोषण योजना के संचालन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को धरातल पर उतारने की मुख्य जिम्मेदारी निभाते हैं। इसके बावजूद सेवा नियमों में इनके अनुभव को महत्व नहीं दिया गया, जिससे यह संवर्ग नियुक्ति से सेवानिवृत्ति तक एक ही पद पर कार्य करने को मजबूर है।
सेवा नियमों में डीएलएड योग्यता होने के बावजूद पदोन्नति के लिए बीएड की अनिवार्यता को शिक्षक संगठनों ने अव्यावहारिक बताया है। डीएलएड प्रशिक्षण में बाल मनोविज्ञान, शिक्षण विधियां और शिक्षण कौशल का समग्र अध्ययन शामिल है, जो प्राथमिक शिक्षा के लिए पर्याप्त है। पूर्णकालिक शिक्षण दायित्वों के कारण सेवारत अवस्था में बीएड करना अधिकांश अध्यापकों के लिए संभव नहीं, जिससे प्रदेश में लगभग दो लाख अध्यापक लेवल प्रथम पदोन्नति से स्थायी रूप से वंचित हो रहे हैं।
प्राथमिक शिक्षकों का कहना है कि जब पुलिस, वन, पंचायतीराज, चिकित्सा, सचिवालय और अन्य विभागों में अनुभव आधारित पदोन्नति लागू है, तो शिक्षा विभाग में इसे रोका जाना अनुचित है। सीपीएड योग्य शारीरिक शिक्षकों को वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति दी जाती है, जबकि डीएलएड योग्य अध्यापक लेवल प्रथम को इससे वंचित रखा गया है।
प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में प्राथमिक शिक्षा का भार अत्यधिक है। बाड़मेर जिले में प्राथमिक स्तर के 2,419 विद्यालय संचालित हैं, जहां 5,641 अध्यापक पद स्वीकृत हैं और 4,936 अध्यापक कार्यरत हैं। माध्यमिक स्तर पर 715 विद्यालयों में 1,871 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 1,477 अध्यापक कार्यरत हैं। बालोतरा जिले में प्राथमिक स्तर के 1,276 विद्यालयों में 2,901 पद स्वीकृत हैं और 2,520 अध्यापक कार्यरत हैं। माध्यमिक स्तर पर 473 विद्यालयों में 1,141 पद स्वीकृत हैं, जबकि 885 अध्यापक कार्यरत हैं। जैसलमेर जिले में प्राथमिक स्तर के 968 विद्यालयों में 2,238 अध्यापक पद स्वीकृत हैं और 1,888 अध्यापक कार्यरत हैं। माध्यमिक स्तर पर 309 विद्यालयों में 802 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 623 अध्यापक कार्यरत हैं। प्राथमिक अध्यापक संघ ने डीएलएड को पदोन्नति के लिए पूर्ण मान्य योग्यता घोषित करने, बीएड की अनिवार्यता समाप्त करने, अनुभव आधारित नियमित पदोन्नति कोटा लागू करने और पदोन्नति अवरोध पर उच्च स्तरीय समिति गठित करने की मांग की है। संगठन का मानना है कि पदोन्नति न मिलने से शिक्षकों की कार्यक्षमता, मनोबल और करियर विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
राजस्थान की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था अध्यापक लेवल प्रथम के कंधों पर टिकी है, लेकिन यही संवर्ग सबसे अधिक उपेक्षित है। डीएलएड योग्यता भर्ती और प्रशिक्षण में मान्य है, फिर पदोन्नति में बीएड की बाध्यता लगाकर लाखों शिक्षकों का भविष्य रोका जा रहा है। अनुभव आधारित और निष्पक्ष पदोन्नति प्रणाली लागू करना समय की आवश्यकता है, अन्यथा इसका सीधा असर शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्था की नींव पर पड़ेगा।